इनका मिशन, लोगों में जगे संवेदना और कर्तव्यबोध
समाज को दिशा देने की बातें किताबों में तो बहुत मिलती हैं पर जब यह धरातल पर उतरती हैं तो बात बन जाती है। लोग अपने और अपनों से हटकर समाज के बारे में जब सोचते हैं तो वह स्वस्थ समाज बनाने में सहभागी होकर मिसाल बन जाते हैं। जिले में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने रचनात्मक कार्यो से औरों को प्रेरणा दे रहे हैं। इनके कार्यक्षेत्र अलग हैं पर मकसद एक कि दूसरों के काम भी आएं। बेजुबानों की पीड़ा को सुनकर महसूस कर सकें और उसे दूर करने में योगदान दें।
-जागरण सरोकार-स्वस्थ समाज-
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : समाज को दिशा देने की बातें किताबों में तो बहुत मिलती हैं, पर जब यह धरातल पर उतरती हैं तो बात बन जाती है। लोग अपने और अपनों से हटकर समाज के बारे में जब सोचते हैं तो वह स्वस्थ समाज बनाने में सहभागी होकर मिसाल बन जाते हैं। जिले में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने रचनात्मक कार्यो से औरों को प्रेरणा दे रहे हैं। इनके कार्यक्षेत्र अलग हैं, पर मकसद एक कि दूसरों के काम भी आएं। बेजुबानों की पीड़ा को सुनकर महसूस कर सकें और उसे दूर करने में योगदान दें। चर्चा ऐसे ही कुछ लोगों की।
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रुकवा दिया अस्पताल का स्थानांतरण
पचासों गांव के लोग स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हो जाते, अगर आवाज न उठाई गई होती। समाज के आम लोगों को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक करने में लगे सोशल वर्कर श्याम शंकर पांडेय ने लक्ष्मणपुर पीएचसी को हटाने के खिलाफ एक साल आंदोलन किया। मानव कल्याण सेवा संस्थान के माध्यम से लोगों को लेकर आवाज उठाई तो विभाग ने 18 अगस्त को अस्पताल हटाने से अपने कदम पीछे खींच लिए। इससे 50 से अधिक गांवों की स्वास्थ्य सुविधा छिनने से बच गई।
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संस्कारों की चलती-फिरती पाठशाला
आम तौर पर लोग रिटायर होने के बाद खुद को समाज से अलग मान लेते हैं। उनमें मायूसी आ जाती है और धीरे-धीरे वह एकांतवासी होकर टूटने लगते हैं। ऐसे लोगों के लिए मिसाल हैं पूर्व प्रधानाचार्य दुर्गा प्रसाद शुक्ल महाकाल। वह गायत्री परिवार से जुड़े हैं। उनके झोले में हमेशा संस्कृति, संस्कार, देश प्रेम की किताबें रहती हैं। वह जहां भी बैठते हैं ज्ञान बांटते हैं। अंग्रेजी के विद्वान भी हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कालूराम इंटर कालेज में मुस्लिम बच्चों को भी संस्कृत का पाठ पढ़ाकर प्रसिद्धि हासिल की।
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बेजुबानों को सहारा देते हैं सागर
सड़कों पर धक्के खाते जानवर हर किसी से दुत्कार ही पाते हैं। किसी वाहन ने टक्कर मार दी तो उसकी दवा नहीं हो पाती। वह चाहे गाय, सांड़ हो या कुत्ते, बंदर। इन सबके लिए युवा सामाजिक कार्यकर्ता सागर गुप्ता सहारे की तरह हैं। वह सुबह शाम सड़क पर अपनी बाइक से निकलते हैं। उनकी डिग्गी में दवाएं, मरहम, पट्टी, रस्सी, रासायनिक घोल रखा रहता है। घायल पशुओं की प्राथमिक चिकित्सा करते हैं। बिना किसी तरह के प्रचार की चाहत के वह अपनी धुन में रमे रहते हैं।