थमे टैक्सी के पहिए, अब बेचेंगे दूध
मन में जीने और आगे बढ़ने का संकल्प हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। नए रास्ते भी मिल ही जाते हैं। इस कोरोना के शिकंजे में हजारों लोगों की रोजी-रोटी फंस गई। वह महानगरों को छोड़कर घर आने को विवश हुए। अब भी प्रवासी घर आ रहे हैं। इनमें से कुछ तो सरकारी योजनाओं के भरोसे बैठे हैं जबकि कई लोग छोटा-मोटा धंधा शुरू कर अपनी गृहस्थी को संवार रहे हैं।
संसू, जगेशरगंज : मन में जीने और आगे बढ़ने का संकल्प हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। नए रास्ते भी मिल ही जाते हैं। इस कोरोना के शिकंजे में हजारों लोगों की रोजी-रोटी फंस गई। वह महानगरों को छोड़कर घर आने को विवश हुए। अब भी प्रवासी घर आ रहे हैं। इनमें से कुछ तो सरकारी योजनाओं के भरोसे बैठे हैं, जबकि कई लोग छोटा-मोटा धंधा शुरू कर अपनी गृहस्थी को संवार रहे हैं।
अंतू क्षेत्र के मवैया कला गांव निवासी मोहम्मद रईस अहमद ऐसे ही हैं। मुंबई में रहकर टैक्सी चलाते थे। इसके दम पर वह परिवार का पालन कर रहे थे। वह अपनी मां, पत्नी व बच्चों को खुश रखते थे। इस महामारी से टैक्सी का काम बंद हो गया। लाकडाउन में उसके पहिए थम गए। अचानक ही रोजगार पर संकट आ गया। कठिनाइयों का सामना करने लगे। वह क्या करते, परिवार लेकर घर चले आए। जो जमा पूंजी थी उसे निकाला, कुछ लोगों से उधार लिया। अब वह घर पर पशु पालन करके दूध का कारोबार करने जा रहे हैं। कहते हैं कि मानव जीवन अगर मिला है तो संघर्ष करना ही पड़ेगा। अब हम घर पर ही रह कर दूध से खुशहाली लाएंगे।
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इसलिए चुना दूध
दूध इसलिए चुना कि इसकी जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली। इसका कोई खास सीजन नहीं होता। हर मौसम में इसके ग्राहक मिलते हैं, जिससे व्यवसाय हरदम ही चलता रहेगा।
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मदद की दरकार
रईस का कहना है कि इस कार्य में अगर सरकार से कुछ आर्थिक मदद मिल जाती तो नया रास्ता चुनना और सरल हो जाता। वह इसके लिए ब्लाक व तहसील के कर्मियों से संपर्क भी कर रहे हैं।