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भारतीय संविधान की मूल प्रति पर पं. मुनीश्वरदत्त के भी हस्ताक्षर

नई पीढ़ी में गिने चुने लोगों को ही यह पता है कि आज वह जिस संविधान से संचालित हो रहे हैं उसे बनाने में जिले के प्रथम सांसद रहे पं.मुनीश्वरदत्त उपाध्याय का भी योगदान था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:02 AM (IST)
भारतीय संविधान की मूल प्रति पर पं. मुनीश्वरदत्त के भी हस्ताक्षर
भारतीय संविधान की मूल प्रति पर पं. मुनीश्वरदत्त के भी हस्ताक्षर

रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़ : नई पीढ़ी में गिने चुने लोगों को ही यह पता है कि आज वह जिस संविधान से संचालित हो रहे हैं, उसे बनाने में जिले के प्रथम सांसद रहे पं.मुनीश्वरदत्त उपाध्याय का भी योगदान था। उनके हस्ताक्षर भारतीय संविधान की मूल प्रति पर हैं। वह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य थे। स्थानीय शिक्षा जगत में महामना के रूप में ख्यात लब्ध मुनीश्वर दत्त उपाध्याय प्रदेश के राजस्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य भी रहे थे।

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तीन अगस्त वर्ष 1898 को लालगंज तहसील के लक्ष्मणपुर गांव में गजाधर प्रसाद उपाध्याय के घर जन्मे पंडित मुनीश्वर दत्त आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर शामिल हो गए थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में शुरू हुए किसान आंदोलन का जिले में उन्होंने नेतृत्व किया था। सोमवंशी हायर सेकेंड्री स्कूल सिटी से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद में परास्नातक और कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें इलाहाबाद नगर पालिका (अब नगर निगम प्रयागराज) कार्यालय में नौकरी मिल गई। देश को आजादी मिलने के बाद दिल्ली में उन्होंने पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह करते हुए अपनी पहचान बनाई। वह सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि रहे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए वर्ष 1955 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। साधारण परिवार में जन्मे पंडित जी लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मदनमोहन मालवीय, गोविद बल्लभ पंत, पुरूषोत्तम दास टंडन के करीबियों में एक थे। एमडीपीजी कालेज में पूर्व हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. हंसराज त्रिपाठी बताते हैं कि पंडित जी ने 22 शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर पूरे जिले में शिक्षा की अलख जगाई। वरिष्ठ अधिवक्ता भानु प्रताप त्रिपाठी मराल कहते हैं कि मुनीश्वरदत्त उपाध्याय जिले के विकास में शिक्षा को सबसे जरूरी चीज मानते थे।


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