संस्कृत में मात्रा, हलंत, विसर्ग का रखें ध्यान
भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती अर्थात संस्कृत सभी भाषाओं में प्रमुख मधुर और दिव्य भाषा है। यह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। संस्कृत विषय में मात्रा हलंत विसर्ग का ध्यान रखने से बेड़ा पार हो जाता है। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरनाहपुर की सहायक अध्यापिका कविता मिश्रा का कहना है कि हाईस्कूल स्तर पर संस्कृत विषय का चयन विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है।
संवादसूत्र, प्रतापगढ़ : भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती अर्थात संस्कृत सभी भाषाओं में प्रमुख, मधुर और दिव्य भाषा है। यह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। संस्कृत विषय में मात्रा, हलंत, विसर्ग का ध्यान रखने से बेड़ा पार हो जाता है। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरनाहपुर की सहायक अध्यापिका कविता मिश्रा का कहना है कि हाईस्कूल स्तर पर संस्कृत विषय का चयन विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है। संस्कृत एक स्कोरिग विषय है अर्थात संस्कृत विषय में तथ्यात्मक एवं प्रभावशाली शब्दों में उत्तर देने पर इसमें शत प्रतिशत अंक प्राप्त होते हैं।
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सफलता के गुरु मंत्र---
-भाषा की शुद्धता जैसे मात्रा, हलंत और विसर्ग पर विशेष ध्यान दें।
-पाठ का सारांश लिखते समय उस पाठ से जुड़ी तथ्यात्मक घटनाओं को प्रस्तुत करें।
-श्लोक की संस्कृत व्याख्या करने के लिए सर्वप्रथम उसके हिदी अर्थ को समझने का प्रयास करें।
-परीक्षा के पूर्व ही उचित समय प्रबंध के अनुसार विषय का अध्ययन प्रारंभ करें।
-सबसे पहले पाठ्यक्रम का अवलोकन कर लें, जिससे आपको ध्यान रहे कि आपको क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना है।
-समय सारणी बनाकर उसी के अनुसार अध्ययन करें।
-तथ्यात्मक बातों के लिखने पर विशेष ध्यान दें।
-प्रश्नों को पढ़कर समझने के बाद ही उनका उत्तर लिखना प्रारंभ करें।
-कठिन चीजों को मौखिक रटने की अपेक्षा उन्हें लिखकर व समझकर पढ़ने पर ध्यान दें।
-जो चीज समझ में ना आए उसे बार-बार पढ़ने का प्रयास करें।
-संस्कृत में शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने के लिए व्याकरण पर विशेष ध्यान दें।
-धातु रूप करते समय पुरुष व वचन के अंतर को समझने के लिए हलंत का विशेष ध्यान दें।
-प्रत्याहार के सम्यक ज्ञान के लिए माहेश्वर सूत्रों का अध्ययन करें।
-संधि एवं कारक से संबंधित सूत्रों को सम्यक रूप से समझने का प्रयास करें।
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प्रश्नपत्र का स्वरूप-
-संस्कृत विषय पर आधारित प्रश्न पत्र में दो खंड होते हैं-
-खंड क-यह खंडी गद्य एवं पद्य पर आधारित होता है इसमें गति एवं पद की व्याख्या सुख की व्याख्या वा पाठ सारांश तथा पात्र चरित्र चित्रण से संबंधित प्रश्न होते हैं इसके लिए अधिकतम 35 अंक निर्धारित किए गए हैं।
-खंड ख-इस खंड में व्याकरण, अनुवाद व रचना से संबंधित प्रश्न होते हैं। व्याकरण में प्रत्याहार वर्णों के उच्चारण स्थान संधि समास कारक प्रत्यय वाच्य परिवर्तन शब्द रूप एवं धातु रूप से जुड़े हुए प्रश्न आते हैं। रचना के अंतर्गत निबंध लेखन आता है।