सिग्नल दफ्तर का ताला तोड़ा, इंजीनियर की तलाश में दबिश
रेलवे सिग्नल विभाग की संपत्ति बेचने के मामले में आरोपित वरिष्ठ खंड अभियंता को अब तक पुलिस नहीं पकड़ सकी है। बिहार प्रदेश तक पुलिस की दबिश का दौर जारी है। इधर सिग्नल विभाग का चार्ज दूसरे अफसर को दे पाने में आ रही बाधा पर दफ्तर व स्टोर का ताला तोड़ दिया गया।
जासं, प्रतापगढ़ : रेलवे सिग्नल विभाग की संपत्ति बेचने के मामले में आरोपित वरिष्ठ खंड अभियंता को अब तक पुलिस नहीं पकड़ सकी है। बिहार प्रदेश तक पुलिस की दबिश का दौर जारी है। इधर सिग्नल विभाग का चार्ज दूसरे अफसर को दे पाने में आ रही बाधा पर दफ्तर व स्टोर का ताला तोड़ दिया गया।
एक माह पहले रेल संपत्ति की चोरी करने के दौरान आरपीएफ ने शातिर कल्लू कबाड़ी को पकड़ा था। उसके बयान पर आरपीएफ ने मुकदमे में वरिष्ठ खंड इंजीनियर पूर्णेंदु को भी आरोपी बनाया। पहले तो रेलवे के अफसर ही मामले को छिपाए रहे। आरपीएफ पर भी दबाव बनाए कि स्टाफ का मामला है। हालांकि दबाव काम न आया। पकड़ में न आने पर रेलवे पुलिस ने अभियंता को वांछित घोषित कर दिया। धरपकड़ के लिए दबिश देना शुरू कर दिया।
पुलिस को बिहार तक का चक्कर लगाया। इस बीच अभियंता ने कोर्ट की शरण ली, पर उनको मायूसी हाथ लगी। रेलवे सूत्रों से पता चला है कि आरोपित इन दिनों प्रतापगढ़ में है। कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस को उसका बयान लेना है। इस प्रयास में आरपीएफ है। इधर उनकी जगह इंजीनियर एसपी पांडेय को चार्ज लेना है। यह कार्य भी पचड़े में फंसा है। हालांकि अब रेलवे के आला अफसरों ने चार्ज देने को सख्ती की है।इस मामले में बोलने से स्थानीय अधिकारी बच रहे हैं। डर है कि कहीं वह बड़े अफसरों की नाराजगी के शिकार न हो जाएं। आरपीएफ वाले भी मौन साधे हैं, लेकिन कानूनी कार्रवाई चल रही है, जो आरोपित के लिए और मुसीबत बढ़ा सकती है।