मानवता की पटरी पर चला रहे हैं सेवा की छुकछुक
वह रेलकर्मी हैं पर केवल ट्रेन ही नहीं चलाते बल्कि मानवता की पटरी पर सेवा की छुकछुक भी दौड़ाते हैं।
राज नारायण शुक्ल राजन, प्रतापगढ़ : वह रेलकर्मी हैं, पर केवल ट्रेन ही नहीं चलाते, बल्कि मानवता की पटरी पर सेवा की छुकछुक भी दौड़ाते हैं। वह रक्त दान करते हैं। पीड़ित का मजहब पूछे बिना किसी की भी जान बचाने को आगे बढ़ जाते हैं। अंतिम सांसें गिन रहे पीड़ित के लिए जिदगी की नई उम्मीद बन जाते हैं। यही नहीं दूसरों को भी स्वस्थ समाज में योगदान देने को प्रेरित करते हैं।
यह हैं संजय पांडेय। प्रतापगढ़ में लोको पायलट के पद पर तैनात हैं। मेल से लेकर पैसेंजर ट्रेन तक को रफ्तार देते हैं। यह उनकी पहचान नहीं है। उनकी पहचान है मानवता के पुजारी व सेवक के तौर पर। शहर के पूर्वी सहोदरपुर के रहने वाले संजय 50 साल के हो गए हैं। हर तीन महीने पर रक्तदान करने अस्पताल पहुंच जाते हैं। कोई पीड़ित मिला तो ठीक, नहीं तो ब्लड बैंक में दे आते हैं, ताकि किसी के काम आ सके।
वह अब तक 40 बार से अधिक रक्तदान कर चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर में दिया था। पहली बार 1991 में उन्होंने अपने ससुर को आपरेशन के समय डोनर न मिलने पर रक्त दिया। बस इसके बाद इन्होंने ठान लिया कि अपनों की मदद तो सब करते हैं, दूसरों की जान बचाई जाए तो कोई बात बने। इसके बाद वह रक्तदाता के रूप में पहचान बनाने लगे। वह जरूरतमंद लोगों को जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं।
यही नहीं खून देने को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियों से भी लड़ते हैं। उसे दूर भी करते हैं। जैसे खून देने से कमजोरी आती है, खून दुबारा नहीं बनता आदि के बारे में लोगों का भ्रम तोड़ते हैं। उनको रेल महकमे में इस खूबी के लिए सब जानते हैं, पर कोई प्रोत्साहन नहीं मिला। संजय इसकी परवाह न करके मानवता की सेवा कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उनके जज्बे को सलाम किया व कई बार सम्मान पत्र से नवाजा।