बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मुहिम चला रहे सतीश
महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता है लेकिन अन्याय अत्याचार शोषण से नारी पूर्णतया मुक्त नहीं हो पा रही हैं। हालांकि बदलते समय के साथ कार्य के हर क्षेत्र में बेटियां सफलता का परचम लहरा रही हैं। फिर भी कन्या भ्रूण हत्या दहेज शोषण प्रताड़ना जैसे मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। यह बातें कहते कहते जनपद की तहसील लालगंज के मिश्रपुर निवासी समाजसेवी साहित्यकार सतीश चंद्र तिवारी भावुक हो उठते हैं। वे दस वर्षों से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर रहे हैं।
चंद्रशेखर तिवारी/सुरेश मिश्र मदन, लालगंज/सगरासुंदरपुर : यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमंते तत्र देवता, यह वेद वाक्य है, जिसमें हमारे वेदों में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है। हमारा देश पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता है, लेकिन अन्याय, अत्याचार, शोषण से नारी पूर्णतया मुक्त नहीं हो पा रही हैं। हालांकि बदलते समय के साथ कार्य के हर क्षेत्र में बेटियां सफलता का परचम लहरा रही हैं। फिर भी कन्या भ्रूण हत्या, दहेज, शोषण, प्रताड़ना जैसे मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। यह बातें कहते कहते जनपद की तहसील लालगंज के मिश्रपुर निवासी समाजसेवी साहित्यकार सतीश चंद्र तिवारी भावुक हो उठते हैं। वे दस वर्षों से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर रहे हैं। वह क्षेत्र समाज में भ्रमण कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बकौल सतीश उन्होंने नोएडा के एक प्राइवेट स्कूल में करीब सात वर्ष तक शिक्षण कार्य किया। वर्ष 2013 में मानवीय मूल्यों पर आधारित जागृति नामक पुस्तक लिखीं, जो बेटियों से जुड़ी 25 कविताओं का संग्रह है। इसके बाद वर्ष 2018 में कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को लेकर बेटी नामक पुस्तक व इसी वर्ष दहेज नामक पुस्तक की रचना की। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की अपनी इस मुहिम के तहत सतीश स्कूल कालेजों में जाकर वहां प्रार्थना के बाद छात्र-छात्राओं को जीवन का मूल्य व बेटियों का महत्व, स्थान आदि समझाते हैं। गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को बेटियों की रक्षा सुरक्षा, उन्हें बेटों के समान ही दर्जा देने व उनकी पढ़ाई को लेकर जागरूक कर रहे हैं। बीते प्रयागराज के कुंभ में सतीश ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से जुड़ी प्रदर्शनी लगाकर लोगों में जागरुकता का संदेश दिया। सतीश कहते हैं सारिका व निहारिका उनकी दो दो बेटियां हैं, जिन्हें वह किसी मायने में बेटों से कम नही आंकते हैं। उनकी पुस्तक समाज को आइना दिखाने का काम कर रही हैं। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का उनका प्रयास रंग ला रहा है। बेटियों के प्रति लोगों की सोच में तेजी से परिवर्तन आ रहा है। वह दिन दूर नही जब पूरी तरह से बेटियों को पढ़ा लिखाकर शिक्षित बनाना व उन्हें बेटों के समान दर्जा देने की सोच समाज के हर वर्ग की सोच बनकर लोगों के मन मस्तिष्क में समाहित हो जाएगी।
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