कागजों पर दौड़ रहा रोस्टर, सता रहा अंधेरा
शहर से लेकर गांव तक बिजली आपूर्ति पटरी से उतर चुकी है। शहर और ग्रामीण इलाकों में शासन द्वारा तय किए गए रोस्टर का कोई मतलब नहीं रह गया है। बिजली कब आएगी कब तक टिकेगी और कब चली जाएगी पता नहीं।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : शहर से लेकर गांव तक बिजली आपूर्ति पटरी से उतर चुकी है। शहर और ग्रामीण इलाकों में शासन द्वारा तय किए गए रोस्टर का कोई मतलब नहीं रह गया है। बिजली कब आएगी, कब तक टिकेगी और कब चली जाएगी, पता नहीं।
जिले के हालात यह हैं कि कई-कई दिन बिजली न आने से लोग अंधेरे में रहते हैं, क्योंकि सबके पास इनवर्टर नहीं है। जिसके पास है भी वह चार्ज नहीं कर पाते। विद्युत आपूर्ति के लिए मुख्य रूप से चार वितरण हैं। खंड प्रथम में सदर और पट्टी तहसील क्षेत्र आते हैं। इनके अलावा कुंडा, रानीगंज और लालगंज खंड हैं। इन चारों खंडों के अंतर्गत नौ उपखंड हैं। किसानों को पिछले दिनों से बिजली ने बहुत रुलाया। धान की सिचाई को बिजली नहीं मिली। बरसात भी उन दिनों नहीं हो रही थी। ऐसे में किसान परेशान हो गए। इन ग्रामीण क्षेत्रों में महज आठ-10 घंटे आपूर्ति मिल जाए तो बड़ी बात है। इसकी वजह सबसे बड़ी यही है कि कहीं तार टूट जाए, ट्रांसफार्मर जल जाए, खंभा गिर जाए तो पावर हाउस में सुनवाई नहीं होती। लाइनमैन बिना पैसे के नहीं सुनते, साहब तक पहुंचना मुश्किल होता है। राजनेताओं के यहां भी ग्रामीण सबसे अधिक शिकायतें बिजली की ही लेकर जाते हैं। वह बताते हैं कि शाम के बाद विभाग के अधिकांश अफसर फोन नहीं उठाते।
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सप्लाई का शासनादेश-
शहरी क्षेत्र-24 घंटे
तहसील हेड-20 घंटे
ग्रामीण क्षेत्र-18 घंटे
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जिले में संसाधन
विद्युत उपकेंद्र -60
उपभोक्ता- चार लाख
खपत-100 मिलियन यूनिट मासिक
लाइन लॉस-36 फीसद
लगे ट्रांसफार्मर-3800
संविदा लाइनमैन-700
ट्रांसफार्मर वर्कशाप-02