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पंजीयन कृषि कार्य का, ढो रहे ईंट-बालू

खेती-किसानी के नाम पर ट्रैक्टर का पंजीयन कराकर उससे ईट-मोरंग ढोई जा रही है। ऐसा करके एक तो सरकारी टैक्स नहीं दिया जा रहा और दूसरे हादसे को अंजाम दिया जा रहा है। जिले की पुलिस व प्रशासन के अफसर परिवहन विभाग के लोग इस ओर देख नहीं रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:46 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 05:11 AM (IST)
पंजीयन कृषि कार्य का, ढो रहे ईंट-बालू
पंजीयन कृषि कार्य का, ढो रहे ईंट-बालू

खेती-किसानी के नाम पर ट्रैक्टर का पंजीयन कराकर उससे ईट-मोरंग ढोई जा रही है। ऐसा करके एक तो सरकारी टैक्स नहीं दिया जा रहा और दूसरे हादसे को अंजाम दिया जा रहा है। जिले की पुलिस व प्रशासन के अफसर, परिवहन विभाग के लोग इस ओर देख नहीं रहे हैं। अभी दो दिन पहले कुंडा क्षेत्र में ट्रैक्टर की टक्कर से सिपाही की मौत हो गई। दूसरा अभी लखनऊ में गंभीर दशा में भर्ती है। इस तरह के हादसे अकसर होते रहते हैं, पर पुलिस ट्रैक्टरों संचालकों को नियमों के पालन के लिए सचेत तक नहीं करती। वह ओवरलोड व आड़े-तिरछे सामान लादकर चलते हैं और मौत बांटते हैं। परिवहन विभाग में जिले में दो हजार दो सौ ट्रैक्टर पंजीकृत हैं। इनमें से अस्सी फीसद को कृषि कार्य के लिए दिखाया गया है, पर सड़कों पर कृषि कार्य में वह बहुत कम ही चलते नजर आते हैं। उदाहरण के रूप में लें तो कुंडा क्षेत्र में यह मनमानी चरम पर है। यहां गंगा के किनारे से मोरंग व बालू खोदकर अवैध रूप से उसका कारोबार करने में कई दर्जन ट्रैक्टर लगाए गए हैं। वह बालू लादकर बाजार में सड़क को घेरकर खड़े कर दिए जाते हैं। इससे बगल से वाहनों को पटरी पर उतरने की जगह नहीं मिलती। बाइक सवार तो अक्सर इसमें पिस जाते हैं। एसडीएम स्तर तक के अफसर इस ओर नहीं देखते। लोग चलें या मरें-गिरें इनको कोई चिता नहीं है। यह बालू मंडी स्थानीय पुलिस व तहसील प्रशासन की मिलीभगत से चलती है। यही वजह है कि कई ट्रैक्टर स्वामियों द्वारा नाबालिग को भी चालक का काम दे दिया जाता है। उनके पास ड्राइविग लाइसेंस तक नहीं होता।

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भारी वाहन का चाहिए लाइसेंस

ट्रैक्टर चलाने के लिए भारी वाहन का ड्राइविग लाइसेंस अनिवार्य होता है। अधिकांश चालकों के पास या तो यह होता नहीं, होता है तो दुपहिया का। वह ट्रैक्टर पर लदे माल के बाद उसकी स्टेयरिग थाम पाने के काबिल नहीं होते। इनकी मनमानी से बेकसूर लोग जिदगी खो देते हैं।

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कई बार इस तरह की मनमानी रोकने का अभियान चलाया जाता है। ट्रैक्टर सीज किए जाते हैं। ऐसा फिर से किया जाएगा।

-सुशील कुमार मिश्र, एआरटीओ प्रतापगढ़

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मेरा नाम शकील, बिना लाइसेंस के पायलट

-फोटो- 17पीआरटी 44

संसू,परियांवा: दैनिक जागरण ने अपने अभियान के दूसरे दिन ट्रैक्टर चालकों के अनुभव और उनकी कुशलता परखने का भी प्रयास किया, तो आए दिन हो रही दुर्घटना का अंदाजा लगा पाना सहज हो गया। प्रयागराज-लखनऊ हाईवे पर पाइकगंज के पास एक ऐसे ही अकुशल और बिना लाइसेंस के ट्रैक्टर चला रहे एक चालक से जागरण ने बात की तो असलियत सामने आ गई। पेश है एक ट्रैक्टर चालक से सीधे बातचीत का कुछ अंश:---

पहला सवाल-तुम्हारा नाम क्या है

जवाब-शकील

दूसरा सवाल-कितने साल के हो -

जवाब-20 साल

सवाल-

कब से ट्रैक्टर चला रहे हो -

जवाब-12 साल से ट्रैक्टर चला रहा हूं।

सवाल-तुम्हारे पास लाइसेंस है-

जवाब-नहीं है, बिना लाइसेंस के चला रहा हूं।

सवाल-तुम्हारा घर कहां है

जवाब-रायबरेली जिला के ऊंचाहार तहसील के अरखा का हूं, यहां परियांवा में 12 साल से रह रहा हूं।


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