रेफरल सेंटर का दर्जा, रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं
तहसील मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं मानक के अनुसार नहीं हैं। कुंडा
तहसील मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं मानक के अनुसार नहीं हैं। कुंडा सीएचसी को रेफरल सेंटर का दर्जा हासिल है, पर यहां रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं हैं। हड्डी के चिकित्सक नहीं हैं, जिससे मारपीट या दुर्घटना के केस में रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। तब तक मरीज की हालत और खराब हो जाती है। इससे कोरोना काल में और भी मुश्किल हो रही है। दो डॉक्टर कोरोना अभियान में ही लगे रहते हैं।
तीस बेड वाले इस अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं। ऐसे में लोग बच्चों के इलाज के लिए शहर या दूसरे शहर जाने को विवश होते हैं। जागरण टीम ने देखा तो मानिकपुर के शिव प्रसाद, कनावां के राम सुमेर अपने बच्चे के इलाज के लिए परेशान मिले। यह रोज की बात है। कई विभागों में चिकित्सकों की तैनाती न होने से दूर दराज से आने वाले मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सीएचसी कुंडा में क्षेत्र में दो लाख से अधिक लोगों का इलाज का जिम्मा है, लेकिन जरूरत के चिकित्सकों की तैनाती न होने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरी में प्राइवेट चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। यही नहीं एक समस्या यह भी है कि यूनानी, आयुष विधा के डॉक्टरों से ओपीडी का संचालन कराना पड़ता है, जिससे मरीजों को बहुत राहत नहीं मिल पाती। अस्पताल के प्रभारी डा. दिनेश सिंह का कहना है कि सीएचसी में आई सर्जन, डेंटल सर्जन, जनरल सर्जन, गाइनोलॉजिस्ट की तैनाती ही है। कई पद खाली हैं।
अंधेरे में होता है इलाज
सीएचसी में बिजली गुल हो जाने पर जनरेटर जल्दी नहीं चलाया जाता। मरीजों का एक्स-रे नहीं होता या घंटों इंतजार करना पड़ता है। मानिकपुर क्षेत्र के जाखामई गांव निवासी देवानंद घर के एक व्यक्ति का इलाज कराने के लिए सीएचसी आए तो चिकित्सक ने एक्स-रे कराने की सलाह दी। वह सीएचसी में एक्स-रे रूम में पहुंचे तो वहां पर बिजली न होने से अंधेरा छाया हुआ था। पहले भी कुछ लोग एक्सरे कराने के लिए बैठे बिजली का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बिजली नहीं आई। एक्स-रे न हो सका। सीएचसी में जनरेटर की व्यवस्था भी है, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे मलाईदार या दबंग मरीजों तक ही सीमित रखा है।