राम पैकेज:: राम मंदिर आंदोलन को जिले में मिलती रही धार
प्रयागराज और अयोध्या के बीच हृदय की तरह बसे प्रतापगढ़ में राम मंदिर आंदोलन को लगातार धार दी। अयोध्या जाने का यह मुख्य मार्ग होने से हमेशा यह जिला सरकार की नजरों में रहा। विहिप जैसे प्रखर हिदूवादी संगठनों के बड़े-छोटे नेता यहां गांव-गांव आंदोलन का स्वरूप गढ़ने को आते रहे। कारसेवकों को इस जिले के राम भक्तों ने शरण दी। पुलिस से उनको बचाकर वह भोर में गांवों के रास्तों से उनको अवधपुरी की ओर जाने में सहयोग करते थे।
राज नारायण शुक्ल राजन, प्रतापगढ़ : प्रयागराज और अयोध्या के बीच हृदय की तरह बसे प्रतापगढ़ में राम मंदिर आंदोलन को लगातार धार दी। अयोध्या जाने का यह मुख्य मार्ग होने से हमेशा यह जिला सरकार की नजरों में रहा। विहिप जैसे प्रखर हिदूवादी संगठनों के बड़े-छोटे नेता यहां गांव-गांव आंदोलन का स्वरूप गढ़ने को आते रहे। कारसेवकों को इस जिले के राम भक्तों ने शरण दी। पुलिस से उनको बचाकर वह भोर में गांवों के रास्तों से उनको अवधपुरी की ओर जाने में सहयोग करते थे।
पूरे देश में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विर्श्व हिदू परिषद ने जो आंदोलन चलाया, उसमें रजवाड़ों का यह जिला बड़े उत्साह से सहभागी रहा। हिदुओं को संगठित करने को आंदोलन के अगुआ अशोक सिघल लगातार यहां आते रहे। कई बार तो प्रशासन को उनके आने की भनक तक लोग नहीं लगने देते थे। शहर के प्रताप बहादुर पार्क में उनकी जनसभा को आज भी लोग नहीं भूले हैं। उस दौर पर चर्चा की गई तो शहर के अशोक कुमार शर्मा, मुरलीधर केसरवानी, सेठ रामेर्श्वर प्रसाद, ज्ञान प्रकाश केसरवानी यादों में खो गए। बताने लगे कि नगर के गोपाल मंदिर में उमा भारती ने कई बैठकों में कारसेवकों में जोश भरा था। संघ का कार्यालय होने से यह स्थल ऐसी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन गया था। राम तवंकल द्विवेदी जैसे लोग उस दौर में खुद को राम काज के लिए सर्मिपत कर दिए थे। सेठ सियाराम, नंद लाल चौरसिया, राम शिरोमणि पांडेय जैसे बहुत से लोग राम शिला पूजन कार्यक्रम में तन-मन-धन से लगे थे। कारसेवकों को रोकने को प्रशासन ने चिलबिला में अस्थाई जेल बनाया था। इसमें दक्षिण भारत के सैकड़ों कार सेवक रखे गए थे। उनके लिए भोजन, पैसे, कपड़े तक के इंतजाम जिले के राम भक्त करते थे। बजरंग दल के विजय सिंह बताते हैं कि अयोध्या में उस दौर में होने वाली बैठकों में प्रतापगढ़ के हिदूवादी नेता भी बुलाए जाते रहे। पं. राममूर्ति त्रिपाठी, पूर्व विधायक स्व. बाबूलाल श्रीवास्तव और राम प्रताप सिंह का राम प्रेम कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे न जाने कितने राम भक्तों ने राम काज के लिए अपने को लगा दिया था। वह राम में रम गए थे। उन पर एलआइयू जैसी एजेंसियां हमेशा नजर रखती थीं।