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रेडियोलाजिस्ट ना मिला, हटा दी अल्ट्रासाउंड मशीन

रानीगंज तहसील मुख्यालय स्थित सीएचसी है। यह 30 बेड का अस्पताल है। लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद प्रदेश सरकार से इस अस्पताल को अल्ट्रासाउंड मशीन मिली। इसके काफी समय बाद तक रेडियोलाजिस्ट की तैनाती नहीं हो पायी लिहाजा इस मशीन को लालगंज सीएचसी भेज दिया गया। स्वास्थ्य विभाग को ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी की तर्ज पर यही उपाय बेहतर समझ में आया। यहां के मरीज ठगे से हैं और अव्यवस्था इन्हें बार-बार ठग रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 11:14 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:05 AM (IST)
रेडियोलाजिस्ट ना मिला, हटा दी अल्ट्रासाउंड मशीन
रेडियोलाजिस्ट ना मिला, हटा दी अल्ट्रासाउंड मशीन

संसू रानीगंज : लखनऊ-वाराणसी हाइवे के किनारे रानीगंज तहसील मुख्यालय स्थित सीएचसी है। यह 30 बेड का अस्पताल है। लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद प्रदेश सरकार से इस अस्पताल को अल्ट्रासाउंड मशीन मिली। इसके काफी समय बाद तक रेडियोलाजिस्ट की तैनाती नहीं हो पायी, लिहाजा इस मशीन को लालगंज सीएचसी भेज दिया गया। स्वास्थ्य विभाग को ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी की तर्ज पर यही उपाय बेहतर समझ में आया। यहां के मरीज ठगे से हैं और अव्यवस्था इन्हें बार-बार ठग रही है। जिलाधिकारी से लेकर सीएमओ तक यहां का दौरा कर चुके मगर आज तक यहां की व्यवस्था नहीं बदली।

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यहां अधीक्षक सहित कुल छह चिकित्सक हैं। आयुष के दो डाक्टर हैं। इस अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ, अर्थोपेडिशियन, रेडियो लाजिस्ट, हड्डी रोग के डाक्टर की तैनाती नहीं हो पायी है। यही वजह है कि लोगों को प्राइवेट स्तर पर चिकित्सा करने वालों की शरण लेनी पड़ती है। रोजाना दर्जनों मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। बड़ी मुश्किल से सरकार ने इस सीएचसी को एक अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध करायी थी। रेडियोलाजिस्ट की तैनाती नहीं हो पायी। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को सबसे सरल उपाय सूझा। इस अल्ट्रासाउंड मशीन को सीएचसी लालगंज भेज देने का, वहीं कर भी दिया गया। इसी क्रम में शुक्रवार को दैनिक जागरण टीम ने सीएचसी रानीगंज में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जाना, सुविधाओं के अभाव में मरीज भटकते मिले। यहां नरी गांव की आशा देवी आपरेशन के दौरान टांके में आई दिक्कत को दिखाने पहुंची थीं तो यहां उनका इलाज नहीं किया गया, महज टांके को ठीक कराने के लिए उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसी तरह बीजेमऊ के बुजुर्ग प्रेमनारायण, गंभीरपुर के 75 वर्षीय राम अभिलाख बुखार व सांस से पीड़ित थे। डाक्टर को दिखाने के लिए इंतजार कर रहे थे। कई लोग एक्स-रे कराने का इंतजार कर रहे थे, बिजली के अभाव में एक्स-रे नहीं हो पाया।

मरीजों से लिया जाता है पैसा

मरीजों को रक्त जांच के लिए बाहर भेज दिया जाता है। अगर जांच अस्पताल में हुई तो मरीजों से 20 से लेकर 30 रुपये तक सुविधा शुल्क लिया जाता है। साढ़े 10 बजे चिकित्सक चेंबर में पहुंचे। डाक्टर जलालउद्दीन, डा नरेंद्र, डा पंचदेव, अधीक्षक डा. आनंद सिंह ओपीडी में पहुंचे और मरीजों का उपचार शुरु किया। वहीं शुक्रवार को आए मरीजों का कहना था कि सुबह से इलाज कराने के लिए सीएचसी पहुंचकर डाक्टरों का इंतजार कर रहे थे। डाक्टर देर से बैठते हैं और दवा भी बाहर की लिखते हैं। मामूली बात पर भी रेफर करते हैं। सीएचसी अधीक्षक डा आनंद सिंह का कहना था कि सरकार से इलाज के लिए जो भी सुविधा दी गई है, उसे मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है। चिकित्सक व कर्मियों के खाली पद की जानकारी सीएमओ को दी गई है। हर हाल में मरीजों का समय से इलाज होता है। चिकित्सक बैठते हैं और गंभीर मामले में ही मरीज को रेफर किया जाता है।


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