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भारतीय संविधान के मसौदे पर हैं पं. मुनीश्वरदत्त उपाध्याय के हस्ताक्षर

जिले के शिक्षा जगत के मालवीय कहे जाने वाले प्रथम सांसद पं.मुनीश्वरदत्त उपाध्याय के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारतीय संविधान के मसौदे पर उनके भी हस्ताक्षर हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:02 AM (IST)
भारतीय संविधान के मसौदे पर हैं पं. मुनीश्वरदत्त उपाध्याय के हस्ताक्षर
भारतीय संविधान के मसौदे पर हैं पं. मुनीश्वरदत्त उपाध्याय के हस्ताक्षर

रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़ : जिले के शिक्षा जगत के मालवीय कहे जाने वाले प्रथम सांसद पं.मुनीश्वरदत्त उपाध्याय के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारतीय संविधान के मसौदे पर उनके भी हस्ताक्षर हैं। वह प्रदेश के राजस्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी रहे।

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तीन अगस्त वर्ष 1898 को लालगंज तहसील के लक्ष्मणपुर गांव में गजाधर प्रसाद उपाध्याय के घर जन्मे पंडित मुनीश्वर दत्त ने आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर शामिल हो गए। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के किसान आंदोलन का जिले में उन्होंने नेतृत्व किया था। सोमवंशी हायर सेकेंड्री स्कूल सिटी से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद में परास्नातक और कानून की पढ़ाई की। इसके बाद इलाहाबाद के महापौर कार्यालय में उन्हें नौकरी मिल गई। इसी दौरान वह स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। देश को आजादी मिलने के बाद दिल्ली में उन्होंने पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बीच सफलता पूर्वक कार्य करते हुए उनमें अपनी पहचान बनाई। संविधान के निर्माण में भी उन्हें निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया। बेल्हा के एक मात्र पं. मुनीश्वरदत्त उपाध्याय ही हैं जिनका हस्ताक्षर भारत के संविधान के मसौदे पर है। वह सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि रहे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए वर्ष 1955 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। साधारण परिवार में जन्मे पंडित जी लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मदनमोहन मालवीय, गोविद बल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टंडन के करीबियों में से एक थे। वर्ष 1966 में स्थानीय निकायों से उन्होंने राज्य विधान परिषद का चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। उनके मुकाबले मोहिसना किदवई चुनाव हार गई। यूपी में चंद्रभानु गुप्त के मंत्रिमंडल में पंडित जी को राजस्व मंत्री बनाया गया। एमडीपीजी कालजे के पूर्व हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. हंसराज त्रिपाठी बताते हैं कि पंडित जी ने 22 शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर पूरे जिले में शिक्षा की अलख जगाई। वरिष्ठ अधिवक्ता भानु प्रताप त्रिपाठी मराल का कहना था कि उपाध्याय जी का मानना था कि जिले का विकास शिक्षा के माध्यम से ही हो सकता है, यही वजह रही कि उन्होंने पूरे जिले में स्कूलों की स्थापना की।

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उपेक्षा का दंश झेल रहा है शहीद स्थल रूर

फोटो- 25 पीआरटी- 14

संसू, पट्टी : जनपद के रूर गांव से शुरू हुआ किसान आंदोलन प्रदेश ही नहीं भारत के इतिहास में अपना स्थान रखता है। यहां बाबा रामचंद्र, झिगुरी सिंह सहित अन्य के नेतृत्व में चलाया गया किसान आंदोलन भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रूर गांव में ही अपने राजनैतिक जीवन का ककहरा सीखा था। आजादी के आंदोलन के इन वीर शहीदों की याद में बनाया गया शहीद स्थल रूर प्रशासनिक उपेक्षा के चलते बदहाल हो गया है। प्रशासनिक अधिकारी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यहां पहुंचकर शहीदों को याद कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेते हैं। ग्रामीणों ने जब यहां की बदहाली की ओर कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह का ध्यान दिलाया तो उन्होंने इसके सुंदरीकरण के लिए जल्द ही शासन से धन दिलाए जाने का आश्वासन दिया है।


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