एनसीईआरटी पैटर्न के नाम पर अभिभावकों के साथ हो रहा खेल
गजब है जहां कोरोना काल में स्कूल बंद हैं और आम आदमी हर स्तर पर जंग जैसे हालात का सामना कर रहा है। वहीं कुछ पुस्तक विक्रेता इस संकट की घड़ी में भी एनसीईआरटी नहीं बल्कि एनसीईआरटी पैटर्न की किताबें बेचकर मोटा मुनाफा कमाने की होड़ में शामिल हैं। इस खेल को समझे बिना अभिभावक एक बड़ी साजिश के शिकार हो रहे हैं।
संसू, प्रतापगढ़ : गजब है, जहां कोरोना काल में स्कूल बंद हैं और आम आदमी हर स्तर पर जंग जैसे हालात का सामना कर रहा है। वहीं कुछ पुस्तक विक्रेता इस संकट की घड़ी में भी एनसीईआरटी नहीं बल्कि एनसीईआरटी पैटर्न की किताबें बेचकर मोटा मुनाफा कमाने की होड़ में शामिल हैं। इस खेल को समझे बिना अभिभावक एक बड़ी साजिश के शिकार हो रहे हैं।
सरकार ने कक्षा नौ से लेकर कक्षा 12 तक की कक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबें चलाने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद प्राइवेट स्कूल संचालक एनसीईआरटी पैटर्न की किताबें लगाकर अभिभावकों की जेब खाली करने पर जुटे हुए हैं। एनसीईआरटी की किताबें तो सस्ती हैं लेकिन इसके पैटर्न की किताबें काफी महंगी हैं। इन दोनों किताबों के दाम में चार गुने का फर्क है। उदाहरण के तौर पर एनसीईआरटी की कक्षा नौ की गणित 54 रुपये की है और एनसीईआरटी पैटर्न की गणित की किताब का मूल्य 200 रुपये है। इसी प्रकार कक्षा 10 की एनसीईआरटी की गणित 46 रुपये की है और एनसीईआरटी पैटर्न की गणित की किताब 200 रुपये की है। अंग्रेजी की किताब 20 से 25 रुपये की है और एनसीईआरटी की 150 रुपये की है। कक्षा नौ की हाईस्कूल विज्ञान की पुस्तक एनसीईआरटी की 55 रुपये की, एनसीईआरटी पैटर्न की 250 रुपये की, कक्षा 10 की विज्ञान एनसीईआरटी 57 रुपये की तथा पैटर्न की 250 रुपये की है। इसी प्रकार सोशल साइंस की कक्षा नौ की एनसीईआरटी की 80 रुपये की तथा पैटर्न की 250 रुपये की है।
अभिभावक को एनसीईआरटी और एनसीईआरटी पैटर्न के बीच का फर्क नहीं मालूम। सरकार ने एनसीईआरटी की किताबें खरीदने के लिए कहा है ना कि एनसीईआरटी पैटर्न की। एनसीईआरटी पैटर्न प्राइवेट प्रकाशन है। इसकी कीमत भी कई गुना ज्यादा है। इसमें पुस्तक विक्रेता को कमीशन ज्यादा मिलता है और इसी लालच में वह अभिभावकों को बिना फर्क बताए एनसीईआरटी के नाम पर एनसीईआरटी पैटर्न की किताबें पकड़ा देता है।
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इनसेट- यूपी बोर्ड की गाइड लाइन का पालन सभी स्कूल करें। परिषद ने कक्षा नौ से 12 तक की कक्षाओं में एनसीईआरटी की ही किताबें चलाने का निर्देश दिया गया है। इसके बावजूद यदि कोई एनसीईआरटी पैटर्न की किताबें चला रहा है तो जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-सर्वदा नंद, डीआइओएस
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कापी किताबों में भी कोरोना की मार
-बढ़ गए दाम, दुकानों पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक
-बंद चल रहे स्कूल कालेज, आनलाइन पढ़ाई भी हुई ठप
संसू, प्रतापगढ़ : कापी-किताबों पर भी कोरोना का असर दिखाई देने लगा है। पहले से इनका दाम काफी बढ़ गया है। कोरोना संक्रमण के चलते कई किताबें अभी मार्केट में नहीं आ सकी हैं। बच्चे हैं कि वह अपने अभिभावकों से किताबें लाने की जिद कर रहे हैं। इसके साथ ही दुकानों पर ग्राहक काफी कम पहुंच रहे हैं।
कोरोना संक्रमण का सबसे अधिक असर शिक्षा पर पड़ा है। स्कूल कालेज जहां बंद चल रहे हैं, वहीं अब ऑनलाइन पढ़ाई भी ठप हो गई है।
कापी व किताबों के दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। कागज का दाम बढ़ने से पेज कम कर दिया गया है। देखा जाए तो रफ कागज जो 40 रुपये प्रति किलोग्राम था, अब बढ़ कर 60 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। इसी प्रकार अच्छा कागज पूर्व में 65 रुपये प्रति किग्रा था, जो अब बढ़ कर 80 रुपये प्रति किग्रा हो गया है। यही वजह है कि कापी में पन्ने कम हो गए और मूल्य भी बढ़ गया। पुस्तक विक्रेता गौरव अग्रवाल बताते हैं कि कागज का दाम बढ़ने से कापी का दाम बढ़ा है। दो साल से कोरोना के चलते बिक्री काफी कम हो गई है।