'सौभाग्य' के गांव में दुर्भाग्य के खंभे
गांव के अंतिम छोर के व्यक्ति की झोपड़ी तक बिजली की रोशनी पहुंचाने का सरकार का दावा फाइलों में टिमटिमा रहा है। सौभाग्य विद्युतीकरण योजना में बिजली विभाग और कार्यदायी संस्था की युगलबंदी ऐसी रही कि सैकड़ों पुरवों को अब भी विद्युत रोशनी का इंतजार है। कहीं खंभे लगा दिए गए तो तार ही नहीं। यह गांव वालों को चिढ़ाते नजर आते हैं।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : गांव के अंतिम छोर के व्यक्ति की झोपड़ी तक बिजली की रोशनी पहुंचाने का सरकार का दावा फाइलों में टिमटिमा रहा है। सौभाग्य विद्युतीकरण योजना में बिजली विभाग और कार्यदायी संस्था की युगलबंदी ऐसी रही कि सैकड़ों पुरवों को अब भी विद्युत रोशनी का इंतजार है। कहीं खंभे लगा दिए गए तो तार ही नहीं। यह गांव वालों को चिढ़ाते नजर आते हैं।
जिले की आबादी 36 लाख है। इस जिले में बड़े पैमाने पर जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में बिजली दौड़ाई, पर हजारों गांव फिर भी छूटे रहे। ऐसे पुरवों व गांवों के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में सौभाग्य योजना शुरू की। इसमें प्रतापगढ़ के छह हजार पांच सौ पुरवे चुने गए। यहां इनमें विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 389 करोड़ रुपये मंजूर किए। कार्यदायी संस्था बजाज ने काम शुरू किया। गांवों में खंभे गिरने लगे। तार के बंडल लाए जाने लगे। यह देख आजादी के बाद से बिजली न पाने वाले लोगों में सौभाग्य की रोशनी की उम्मीद चमक उठी। बाद में इस कार्य को मनमानी व मुनाफाखोरी का ऐसा करंट लगा कि पूछिए ही मत। विभाग के अफसरों ने आनन-फानन में एक जनवरी 2019 को जिले को संतृप्त घोषित कर वाहवाही बटोर ली। यह जानकर सैकड़ों गांवों के लोग खुद को ठगा सा महसूस किए। करीब 1600 गांवों को बिजली पहुंचाए बिना ही जिले को संतृप्त बता देने पर हंगामा खड़ा हो गया।
सांसद तक पहुंची शिकायत, बढ़ा समय : जिले के सांसद संगम लाल गुप्ता ने डेढ़ हजार से अधिक गांवों को छोड़कर सौभाग्य का ढिढोरा पीटने का मामला लोकसभा में उठा दिया। वहां पर केंद्रीय बिजली मंत्री से भी अलग से मिले। उनसे मामले की जांच व वंचित मजरों के विद्युतीकरण के लिए समय देने का अनुरोध किया। इस पर मंत्री ने विभाग के अफसरों से जवाब तलब किया। अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए बड़ा व्यवस्थित जवाब भेजा। कहा कि जो मजरे बचे हैं वहां पर काम कराया जाएगा। उपकरण कम पड़ जाने से काम रुक गया था।
बिग बी के गांव की मुसहर बस्ती भी मायूस
रानीगंज तहसील का बाबू पट्टी गांव महानायक अमिताभ बच्चन का पैतृक गांव होने से काफी प्रसिद्ध है। इस गांव के भी कई पुरवे सौभाग्य की रोशनी न पा सके। जागरण टीम से पूर्व प्रधान पंकज शुक्ला और मौजूदा प्रधान कलावती, राम लाल, माला ने बताया कि मुसहर बस्ती अंधेरे में है। बरहदा गांव के मुसहर बस्ती के रतिपाल, मनोज भी जिम्मेदारों को कोसते हैं।
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अधूरा कार्य छोड़ भागी एजेंसी
लालगंज तहसील के पूरे बेलखरियन गांव के दिनेश कुमार, शनी, विजय कुमार सहित 25 घर बिना बिजली के मिले। प्रधान अशोक कुमार के अनुसार कार्यदाई संस्था आधे गांव का विद्युतीकरण करके भाग गई। हंडौर के भोलानाथ पुरवा, पूरे बिसई, गहिरी के उगईपुर में दर्जनभर घर अंधेरे में हैं।
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खंभा मिला, तार का पता नहीं
कुंडा तहसील क्षेत्र के सुजौली गांव के शायाम नगर में बड़ी मशक्कत के बाद सौभाग्य योजना के खंभे लग पाए। अब तार कब खींचे जाएंगे, पता नहीं। प्रधान गुलाब चंद्र कहने लगे कि तार और ट्रांसफार्मर नहीं दिया। घनश्याम और रमेश कहते हैं कि मोबाइल चार्ज करने को दूसरे गांव जाना पड़ता है।
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आठ साल से खड़ा है पोल
मंडल के सबसे बड़े ब्लाक मानधाता के भी कई गांव बिजली का रोना रो रहे हैं। उनके नसीब में अब तक बिजली आ ही न सकी। क्षेत्र का नरहर पट्टी गांव बानगी है। यहां की सरोज बस्ती में आठ साल से पोल ही खड़ा है। प्रधान बृजलाल, गांव के अनिल कुमार सरोज, शोभा देवी मायूस हैं। वर्जन
विभाग ने फिर से सर्वे कराया है। उसमें करीब 900 पुरवे संतृप्त नहीं पाए गए। वहां पर काम होगा। इसके लिए समय मिला है। लाकडाउन के चलते काम नहीं हो पाया, अब कराएंगे।
-इं. ओपी यादव, मुख्य अभियंता, प्रयागराज मंडल
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