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डीएनए ने बताया तो पापा को यकीन आया

मनीष मिश्र प्रयागराज बेटी नहीं बेटा हुआ था-इस विवाद ने एक मासूम को पैदा होने के कुछ घं

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 11:24 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:08 AM (IST)
डीएनए ने बताया तो पापा को यकीन आया
डीएनए ने बताया तो पापा को यकीन आया

मनीष मिश्र, प्रयागराज: बेटी नहीं, बेटा हुआ था-इस विवाद ने एक मासूम को पैदा होने के कुछ घंटे बाद ही जीवन-मृत्यु के संघर्ष में उलझा दिया। माता-पिता ने बिटिया को स्वीकारने से इन्कार कर दिया। दो महीने एक निजी अस्पताल के आइसीयू और फिर बालगृह में बेबस-बेसहारा पड़ी रही बच्ची को एक साल बाद न्याय मिला। प्रतापगढ़ के कुंडा से लेकर प्रयागराज के बीच थाना-पुलिस की कार्यवाही साथ डीएनए टेस्ट में पुष्टि हुई तो शिक्षक पिता ने स्वीकार किया कि बिटिया मेरी ही है। बुधवार को यहां कर्नलगंज थाने में लिखापढ़ी के बाद प्रतापगढ़ निवासी शिक्षा मित्र विनोद गुप्ता ने बिटिया प्रीती को गोद में उठाया और कहा-अब कहीं शक नहीं रह गया है। कलेजे का टुकड़ा बनकर रहेगी।

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प्रतापगढ़ जिले में अंतर्गत साहिबापुर पहाड़पुर गांव निवासी विनोद गुप्ता की पत्नी प्रीती का प्रसव पिछले साल 16 नवंबर को कुंडा सीएचसी पर हुआ था। वहां डॉक्टर ने जुड़वा बेटे पैदा होने की बात कही। दोनों नवजात की हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें प्रयागराज स्थित सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन अस्पताल रिफर कर दिया गया। यहां उपचार के दौरान एक संतान की मौत हो गई थी, जबकि दूसरे को एनआइसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। विनोद का कहना था कि दो बेटे पैदा हुए थे, लेकिन चिल्ड्रेन अस्पताल में बेटे को बदलकर उसे किसी और की बेटी दे दी गई है। मामला पुलिस तक पहुंचा। बच्ची किसकी है, इसकी पुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट कराया गया। इसकी रिपोर्ट हाल में मिली। इसमें इस बात की पुष्टि हुई कि बच्ची विनोद और प्रीती की है।

डीएनए रिपोर्ट देखने के बाद हुई संतुष्टि: डीएनए रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस के माध्यम से विनोद को कर्नलगंज थाने बुलाया गया। रिपोर्ट देख विनोद न सिर्फ संतुष्ट हुए वरन हंसी खुशी अपनी बेटी को अपनाने के लिए तैयार हो गए। बुधवार को खुल्दाबाद स्थित बालगृह में पाली जा रही बच्ची उन्हें सौंप दी गई। बाल कल्याण समिति के चेयरमैन कमलेश सिंह ने बताया कि थाने में बाकायदा लिखा पढ़ी के बाद बच्ची को विनोद को सौंपा गया है।

जिंदगी और मौत के बीच बीते थे दो माह: चार दिन की बच्ची को जब चिल्ड्रेन हास्पिटल में बेसहारा छोड़ा गया था तब डॉक्टर व नर्सो ने उसकी देखभाल की थी। दो माह तक बच्ची एनआइसीयू वार्ड में जिंदगी और मौत से जूझती रही। उसकी जिंदगी को लेकर संशय था। अब यह बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। खास बात यह है कि बालगृह में उसका नाम रखा गया प्रीती, जो उसकी मां का भी है।

अस्पताल प्रबंधन पर दर्ज हुआ था मुकदमा: विनोद गुप्ता ने सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हास्पिटल प्रबंधन के खिलाफ कर्नलगंज में संतान बदलने की एफआरआइ भी दर्ज कराई थी। अब डीएनए रिपोर्ट के बाद अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी निर्दोष साबित हो गए हैं। इससे वह राहत महसूस कर रहे हैं।


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