मरीज बढ़ने से ऑक्सीजन की किल्लत, हांफ रहा विभाग
कोरोना के लगातार कस रहे शिकंजे के बीच जनपद में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बहुत से ऐसे मरीज हैं जो जांच में कोरोना संक्रमित न होने के बाद भी उसी तरह के लक्षणों से ग्रस्त हैं। ऐसे लोगों के लिए जिले में आक्सीजन मिल पाना बहुत कठिन हो गया है।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : कोरोना के लगातार कस रहे शिकंजे के बीच जनपद में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बहुत से ऐसे मरीज हैं जो जांच में कोरोना संक्रमित न होने के बाद भी उसी तरह के लक्षणों से ग्रस्त हैं। ऐसे लोगों के लिए जिले में आक्सीजन मिल पाना बहुत कठिन हो गया है।
कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए शहर में सरकारी एल-टू कोविड अस्पताल बनाया गया है। इसमें 100 बेड लगाए गए हैं। दो महीने पहले यहां पर महज दो-चार मरीज रह गए थे, लेकिन अब भरमार हो गई है। यहां पर हर दिन लगभग 40 से 50 मरीजों का औसत बना हुआ है। एक मरीज को हर दिन दो सिलेंडर चाहिए। इसके अलावा इमरजेंसी में जो मरीज आते हैं उनको भी जरूरत पड़ती है। व्यवस्था की बात करें तो ऑक्सीजन का इंतजाम प्रयागराज पर निर्भर है। डिमांड को पूरा करने में स्वास्थ्य विभाग हांफ रहा है। विभग के आला अफसरों तक को नैनी प्लांट जाकर इसकी लोडिग करानी पड़ रही है। नैनी में भी जरूरत भर की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। भीड़ बढ़ने से वहां भी किल्लत होने लगी है। प्रयागराज व प्रतापगढ़ समेत जिलों को बड़े पैमाने पर सप्लाई होने से समुचित उपलब्धता नहीं होती।
शहर में एक मात्र आक्सीजन सिलेंडर एजेंसी को लाइसेंस मिला है। वहां पर घरेलू मरीजों के स्वजन सिलेंडर के लिए जाते हैं तो उनको निराशा होती है। विभाग यहां से भी स्टाक ले लेता है। ऐसे में मरीजों की जान पर संकट बन आता है। इधर जिला अस्पताल का बेकार पड़ा आक्सीजन प्लांट चालू हो जाने से कुछ राहत जरूर है, पर बाहर से लेना ही पड़ता है। इससे केवल 40 छोटे सिलेंडर ही एक दिन में भर पाते हैं।
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होम आइसोलेट मरीज भगवान भरोसे
जिले में इन दिनों कोरोना के होम आइसोलेट मरीजों की संख्या 1544 है। यह मरीज भगवान भरोसे हैं। विभाग उनसे फार्म भरवाकर हर दिन अपडेट लेने का दावा करता है, पर सारी व्यवस्था फेल है। अफसर निर्देश पर निर्देश जारी कर रहे हैं, पर कोविड कमांड सेंटर से मरीजों के तार नहीं जुड़ पा रहे हैं। तैनात कर्मी कभी आए, कभी नहीं आए। मरीजों से बात नहीं की जा रही। ऐसे में मरीज व उनके घर के लोग कोई समस्या आने पर परेशान हो जाते हैं कि किससे बात करें। किससे मदद मांगें।
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नहीं पहुंच रही मेडिकल टीम
पहले कोरोना केस मिलने पर मेडिकल टीम वहां जाती थी। सबकी जांच करने, सैंपल लेने का काम होता था। सैनिटाइजेशन किया जाता था, पर अब ऐसा नही हो रहा। मेडिकल टीमें सुस्त पड़ गई हैं। उनकी मानीटरिंग भी नहीं की जा रही है। ऐसे में मरीज अपने हाल पर बेहाल होने को विवश है। यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मी के संक्रमित होने पर कर्मी उसके घर भी नहीं जा रहे हैं।
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जांच कराने के बाद नहीं मिल पा रही रिपोर्ट
कोरोना संक्रमण पता लगाने के लिए जिले में हर दिन एंटीजन जांच तो सैकड़ों में हो रही है। इनमें से 60 से अधिक लोगों की आरटीपीसीआर की जांच की जा रही है। इनमें से आधे संक्रमित मिलते हैं। इससे जिले में संक्रमण की रफ्तार का अंदाजा लगया जा सकता है। इसके बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। कभी एक सप्ताह में तो आती है, कभी आती ही नहीं। ऐसे में पूरा परिवार परेशान होता रहता है।
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लगातार मिल रहे पॉजिटिव
11 अप्रैल 83
12 अप्रैल 122
13 अप्रैल 148
14 अप्रैल 192
15 अप्रैल 229
16 अप्रैल 290
17 अप्रैल 318
18 अप्रैल 142
19 अप्रैल 18
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आक्सीजन की डिमांड बढ़ी है। सप्लाई का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जो गंभीर मरीज कोविड अस्पताल में हैं उनको हर हाल में आकसीजन दी जा रही है। होम आइसोलेट मरीजों से संपर्क न करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई होगी।
-डॉ. एके श्रीवास्तव, सीएमओ