अलग से किया जाएगा म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों का इलाज
जिले में वैसे तो अब तक ब्लैक फंगस का केस नहीं आया है लेकिन इसको लेकर सतर्कता है। कोरोना काल में सामने आ रहे इस संक्रमण से अगर कोई पीड़ित होता है तो उसका इलाज अलग से किया जाएगा।
जासं, प्रतापगढ़ : जिले में वैसे तो अब तक ब्लैक फंगस का केस नहीं आया है, लेकिन इसको लेकर सतर्कता है। कोरोना काल में सामने आ रहे इस संक्रमण से अगर कोई पीड़ित होता है तो उसका इलाज अलग से किया जाएगा।
जिला अस्पताल में छह बेड का म्यूकोरमाइकोसिस वार्ड बनाया जाएगा, जबकि तहसील स्तर की सीएचसी पर हेल्प डेस्क व कंट्रोल रूम की व्यवस्था की तैयारी है। देखा जाए तो इन दिनों तरह-तरह के वायरस व बैक्टीरिया जन जीवन पर हमला कर रहे हैं। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, जो लोग कोरोना से लड़कर फिर से खड़े हुए हैं, वह लापरवाही करेंगे तो फंगस फिर से बीमार कर देगा। अच्छा है कि प्रतापगढ़ में अब तक ऐसा कोई मरीज नहीं मिला है। इसके बाद भी आशंका को लेकर विभाग जरूरी कदम उठा रहा है। म्यूकोरमाइकोसिस नाम के फंगल इन्फेक्शन को ब्लैक फंगस कहा जाता है। ऐसा ही व्हाइट फंगस भी होता है। यह दोनों मानव शरीर में बहुत तेजी से फैलते हैं। नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े व त्वचा में किसी पर भी इनका प्रभाव हो जाता है। कई बार तो मरीजों की आंखों की रोशनी जा सकती है। कुछ के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाने का भी खतरा पैदा हो जाता है। सीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव का कहना है कि अलग से वार्ड बनाया जाएगा। सभी अपर व डिप्टी सीएमओ को बता दिया गया है। पब्लिक को चाहिए कि वह अपने को स्वस्थ रखे। अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखे। इसके कुछ खास लक्षण पर गौर करें तो इसमें नाक में दर्द, खून आना, नाक बंद हो जाना, नाक में सूजन आना, दांत या जबड़े में दर्द, सीने में दर्द, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, आंखों के सामने धुंधलापन हैं। ऐसे में मास्क का प्रयोग जारी रखें। ब्लड ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखें, हल्के लक्षण दिखने पर डाक्टर को दिखाएं। गालों पर काले या लाल चकत्ते दिखने लगें तो इसे अनदेखा न करें।