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रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी

हाड़-तोड़ मेहनत करके महानगरों में रोजगार कर रहे लोगों पर रोजी- रोटी का संकट आ गया। महानगरों में काम ठप पडा तो यह लोग गांव की ओर चले आए। यहां भी इन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पाया। दिल्ली मुंबई चंडीगढ़ और कोलकाता में फैक्ट्रियों में काम करने वाले अपने ही गांव में बेगाने बने हुए हैं। दैनिक जागरण टीम ने कुछ ऐसे ही प्रवासियों से बात की तो उनका दर्द छलक उठा। उमरी निवासी दीप नारायण शर्मा ने बताया कि वह गुजरात के बलसाड शहर में रह कर आटो चलाते थे। लाकडाउन हुआ तो गांव चले आए। अब यहां कोई रोजगार हाथ नहीं आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 11:32 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 11:32 PM (IST)
रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी
रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी

संसू, संडवा चन्द्रिका : हाड़-तोड़ मेहनत करके महानगरों में रोजगार कर रहे लोगों पर रोजी- रोटी का संकट आ गया। महानगरों में काम ठप पडा तो यह लोग गांव की ओर चले आए। यहां भी इन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पाया। दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और कोलकाता में फैक्ट्रियों में काम करने वाले अपने ही गांव में बेगाने बने हुए हैं। दैनिक जागरण टीम ने कुछ ऐसे ही प्रवासियों से बात की तो उनका दर्द छलक उठा। उमरी निवासी दीप नारायण शर्मा ने बताया कि वह गुजरात के बलसाड शहर में रह कर आटो चलाते थे। लाकडाउन हुआ तो गांव चले आए। अब यहां कोई रोजगार हाथ नहीं आ रहा है। घूंडलियन का पुरवा निवासी पवन कुमार तिवारी ने बताया कि वह दिल्ली में रह कर एक कंपनी में काम करते थे। महामारी के चलते कार्य ठीक से नहीं चला। कंपनी का व्यवसाय धीमा पडने पर मैनेजर ने पचास प्रतिशत कर्मचारियों को कुछ दिनों तक काम से बाहर कर दिया है। इससे वह अपने गांव चले आए। अब यहां कोई आनलाइन रोजगार की तलाश में हैं। लेकिन कोई कार्य नहीं मिल रहा है। शहर के मीराभवन निवासी दुर्गेश मिश्रा मुंबई में रह कर प्राइवेट बैंक में कार्य करते थे। महामारी फैलने पर बैंक का कामकाज प्रभावित हुआ तो कंपनी ने इनकी छुट्टी कर दी। अब वह घर लौट आए, लेकिन काम नहीं मिल पाया। वह बताते हैं कि यहां उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा है।

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उमरी निवासी बृजेश मिश्रा मुंबई में हीरा तराशने की कंपनी में श्रमिक सप्लाई करने का कंट्रैक्ट ले रखा था। महामारी फैलने पर हीरे की कंपनी बंद हो गई। वह भी अपने गांव वापस लौट आए। यहां इन्होंने मोबाइल फोन के पा‌र्ट्स की बाजारों में सप्लाई का काम शुरु किया है। काम रफ्ता-रफ्ता चल निकला है। उमरी निवासी स्वामीनाथ गाजियाबाद में रह कर एक केबिल बनाने की कंपनी में काम करते थे। महामारी फैलने से केबिल बिक्री पर असर पडा, तो कंपनी मालिक ने उत्पादन घटाने के लिए पचास प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इससे उन्हें गांव वापस लौटना पड़ा। पूंजी के अभाव में अपना कोई व्यवसाय नहीं शुरु कर पाए।


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