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बिना तेल-बाती के भी जल उठेंगे दीये

जासं प्रतापगढ़ दीपावली व धनतेरस का पर्व करीब है। इसके लिए बाजारों में तैयारी नजर आने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 11:00 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 11:00 PM (IST)
बिना तेल-बाती के भी जल उठेंगे दीये
बिना तेल-बाती के भी जल उठेंगे दीये

जासं, प्रतापगढ़ : दीपावली व धनतेरस का पर्व करीब है। इसके लिए बाजारों में तैयारी नजर आने लगी है। जिले में शहर से लेकर अंचल तक के बाजारों में दुकानदार ग्राहकों को लुभाने के लिए कुछ नया करने में जुटे हैं। चाइनीज आइटमों के इस बार भी बाजार में छाए रहने की संभावना है। ऐसे में मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों की दिवाली कितनी रोशन होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता।

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दीप पर्व पर हर क्षेत्र में कुछ नया करने की ललक दिखाई दे रही है। झालरों और दीयों के बाजार में इस बार चीन के अलावा जापान ने भी दस्तक दी है। जापानी डायमंड झालर आई है। भारतीय ग्राहकों के मन को प्रभावित करने के लिए इस पर स्वच्छ भारत मिशन का लोगो भी छापा गया है। यह झालर एक साथ कई कलर दिखाएगी। इस तरफ ग्राहक ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। चीन की बनी मल्टी फंक्शन लाइट, लेजर लाइट पहली बार बाजार में आई है। पांच कलर के स्ट्रिप भी लोगों को भा रहे हैं। चाइनीज दीप मालिका बिना बिजली के जलेगी, यानि तेल-बाती के बिना ही टिमटिमाएगी।

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फैंसी बर्तनों की रहेगी खनक :

धनतेरस 25 अक्टूबर को है। इसको लेकर बर्तन बाजार में हलचल तेज हो गई है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इस बार बाजार में परंपरागत बर्तनों की नई वेरायटी तो उतारी ही जा रही है, फैंसी बर्तनों को भी मंगाया गया है। व्यापारी लोगों की पसंद के हिसाब से विभिन्न धातुओं से निर्मित बर्तनों का आर्डर दे चुके हैं। कंपनियों ने बर्तनों की नई डिजाइन पेश की है। स्टील, कांसा, पीतल और तांबे के बर्तनों की मांग तो हर साल रहती है। नक्काशीदार पानी की टंकी, आलमारी, कटोरी, ग्लास, पूजा थाली, तांबे का लोटा, बर्तन स्टैंड, देवी-देवताओं की पीतल की मूर्ति, कुकर, डोंगा सेट, पीतल व स्टील की थाली की डिमांड भेजी गई है।

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एंटी डस्ट पेंट बनी पहली पसंद :

सुख-समृद्धि की खातिर दीपावली के मौके पर घरों को चमकाने, सजाने की परंपरा है। साफ-सुथरे घर में लक्ष्मी आती हैं। इसको लेकर लोग घरों को पेंट करा रहे हैं। इस बार शहर तो शहर अंचल में भी मकानों पर एंटीडस्ट पेंट लगवाया जा रहा है। दावा है कि इस पर धूल नहीं ठहरेगी। इस बार डिस्टेंपर के कद्रदान कम हो गए हैं। व्यापारी बताते हैं कि दीपावली के मौके पर नामी-गिरामी कंपनियों ने अपने पेंट को अपग्रेड करके उसे ब्रांड नेम के साथ प्लस लिखकर बाजार में पेश किया है। मजदूरी जरूर इस बार बढ़ी है। शहर में एक दिन की रंगाई का खर्च एक पेंटर 600 रुपये ले रहे हैं, अंचल में चार से पांच सौ का रेट है जो पिछले साल से करीब सौ से डेढ़ सौ रुपये अधिक है।


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