तत्काल टिकट व्यवस्था पर बिचौलियों का कब्जा
जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन के आरक्षण काउंटर पर तत्काल टिकट पा लेना टेढ़ी खीर है। यहां पर बिचौलियों व कुछ रेल कर्मियों की मिलीभगत से अक्सर जरूरतमंद यात्री टिकट नहीं पाते। वह मायूस होकर लौट जाते हैं। इस पर कई बार हंगामा भी हो चुका है पर सिस्टम में सुधार नहीं आ पा रहा है। इन दिनों कुछ ट्रेनों के बहाल होने से तत्काल टिकट का धंधा फिर चल निकला है।
जासं, प्रतापगढ़ : जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन के आरक्षण काउंटर पर तत्काल टिकट पा लेना टेढ़ी खीर है। यहां पर बिचौलियों व कुछ रेल कर्मियों की मिलीभगत से अक्सर जरूरतमंद यात्री टिकट नहीं पाते। वह मायूस होकर लौट जाते हैं। इस पर कई बार हंगामा भी हो चुका है, पर सिस्टम में सुधार नहीं आ पा रहा है। इन दिनों कुछ ट्रेनों के बहाल होने से तत्काल टिकट का धंधा फिर चल निकला है।
दो साल पहले तत्काल टिकट मिलने का समय सुबह आठ का था। इसमें रूटीन आरक्षण की भी मारामारी होने से रेलवे ने तत्काल का समय दिन में 11 बजे कर दिया। इसके पीछे मकसद यह भी था कि लोग रात में ही लाइन न लगाएं। सुबह अपने घर से आकर टिकट ले सकें। हालांकि यह मकसद पूरा नहीं हो रहा। अब भी बिचौलियों की ही दाल अधिक गल रही है। वह चार-पांच फार्म एक साथ भरकर अपने लोगों को रात में काउंटर पर कब्जा जमा करके खड़ा कर देते हैं। ऐसे में सुबह आने वाले यात्री को पीछे रह जाना पड़ता है। दो-चार मिनट का ही समय तत्काल के लिए होता है, जो यूं ही बीत जाता है। वैसे तत्काल आरक्षण वाले फार्म पर सीआरएस के हस्ताक्षर किए जाते हैं, पर इसमें भी कई बार नंबर में हेरफेर हो जाती है। इस बारे में मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक रणवीर सिंह कहते हैं कि निर्धारित वक्त पर फार्म का वितरण किया जाता है। जो भी मांगता है उसे फार्म देने से मना नहीं किया जा सकता। काउंटर के बाहर क्या होता है, हम कुछ कह नहीं सकते। अंदर से नियमानुसार ही टिकट बनाए जाते हैं।
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आरपीएफ की भी जिम्मेदारी
आरक्षण का फार्म वितरण कराने के लिए आरपीएफ को मेमो दिया जाता है। उनको वहां आना चाहिए और अपनी देखरेख में फार्म बंटवाना चाहिए, पर ऐसा अक्सर नहीं होने से नियम टूट जाते हैं। परेशान यात्री कई बार कर्मचारियों पर आरोप लगाने लगते हैं।
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छलक पड़ा यात्रियों का दर्द-
मुझे मुंबई का टिकट लेना था। सुबह की लाइन से बचने के लिए मैं सोमवार रात को ही आकर काउंटर के पास रहा और मंगलवार सुबह मुझे पीछे करके दो दबंग युवक आगे खड़े हो गए। मुझे टिकट नहीं मिला। किससे शिकायत करें, समझ में नहीं आ रहा।
-प्रशांत कुमार, जामताली, रानीगंज।
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इस स्टेशन पर तत्काल टिकट लेने के लिए आना ही बेकार है। मैं तो कई बार झेल चुका हूं। मंगलवार को सुबह नौ बजे मुंबई के टिकट के लिए आने के बाद भी काउंटर तक नहीं पहुंच पाया। मेरा नंबर आने पर टिकट मिलने का समय ही बीत गया। यह यहां अक्सर ही होता है।
-श्रवण कुमार, जामताली, रानीगंज
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रेलवे कहती है कि वह घाटे में है, लेकिन विभाग के लोग अपनी खामियों को नहीं देखते। साकेत से मुंबई के लिए तत्काल टिकट लेना था, नहीं मिल पाया। रेल के आरक्षण की व्यवस्था को सुलभ बनाने में उनकी कोई रुचि नहीं है। तत्काल टिकट के लिए पापड़ बेलने पर तो मन होता है कि बेटिकट ही चल दें, जो होगा देखा जाएगा।
-यूके तिवारी, कंधई
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स्लीपर के टिकट तो मिल जा रहे हैं, पर तत्काल में बहुत मारामारी होती है। दिल्ली जंक्शन के लिए कई बार प्रयास किया, पर टिकट नहीं ले सका। बिचौलियों द्वारा वही टिकट जाने कैसे दोगुने दाम पर मिल जाता है। रेलवे को अपने सिस्टम में सुधार करना होगा, नहीं तो साइबर कैफे बढ़ेंगे।
-एसएस पांडेय, प्रतापगढ़