टीका लगने के बाद मासूम की मौत, अस्पताल में हंगामा
सुवंसा अस्पताल में जीवनरक्षक टीका लगने के बाद एक मासूम की हालत खराब हो गई। कुछ ही घंटे
सुवंसा : अस्पताल में जीवनरक्षक टीका लगने के बाद एक मासूम की हालत खराब हो गई। कुछ ही घंटे बाद उसने दम तोड़ दिया। उसकी मौत से स्वजन भड़क उठे और अस्पताल में हंगामा करने लगे। चिकित्सकों व पुलिस ने किसी तरह समझाकर उनको शांत कराया। मामले की तहरीर फतनपुर थाने में दी गई है।
फतनपुर थाना क्षेत्र के पूरेखरगराय गांव निवासी मोनू गौतम की पत्नी पूजा ने डेढ़ माह पहले एक बेटे को जन्म दिया था। बुधवार को दोपहर में पूजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरा आकर बेटे को जीवनरक्षक का टीका, ओपीवी, रोटा वायरस, दवा के साथ बीसीजी, आइपीवी, व पेंटा इंजेक्शन एक साथ अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स गीता देवी द्वारा लगवाई। कुछ देर बाद पूजा मासूम को लेकर घर चली गई। रात में बच्चे को बुखार के साथ शरीर में ऐंठन होने लगी। बेहोशी आने पर स्वजन घबरा गए। पहले तो अस्पताल में स्वजनों ने फोन किया लेकिन जब कोई रेस्पांस नहीं मिला तो आनन-फानन में मासूम को रात में ही सीएचसी गौरा लेकर गए। वहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने इलाज के बजाय स्वजनों को डांटकर वापस कर दिया। वह मासूम को लेकर घर गए तो रात सवा बारह बजे बच्चे ने दम तोड़ दिया। इससे मातम छा गया। स्वजन गुस्से में शव लेकर गुरुवार को दोपहर में गौरा अस्पताल पहुंचे और हंगामा करने लगे। अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। सीएचसी अधीक्षक डा. ओपी सिंह पहुंचे और समझाने लगे कि टीके से जान बचती है, जाती नहीं। कोई और कारण होगा, फिर भी वह इसकी जांच करवा रहे हैं, लेकिन गम व गुस्से में स्वजन कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। सूचना पर फतनपुर पुलिस पहुंची तो स्वजन आरोपित स्टाफ नर्स के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग पर अड़ गए। इसके बाद पुलिस सभी को लेकर अस्पताल गई और छानबीन की। टीके से मौत की बात सुन स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई। डब्ल्यूएचओ व यूनिसेफ की टीम भी गौरा अस्पताल पहुंची और मामले में स्वजनों से पूछताछ कर जांच में जुट गई। इस बारे में अधीक्षक डा.ओपी सिंह का कहना है कि बीसीजी सहित अन्य टीका लगवाने से मौत नहीं हुई है। कोई दूसरा कारण हो सकता है। इसमें किसी की लापरवाही नहीं है। थानाध्यक्ष फतनपुर इंद्रदेव का कहना है कि मामले में तहरीर मिली है। जांच पड़ताल की जा रही है। स्वजन शव को लेकर घर चले गए। चिकित्सकों को यकीन नहीं
मेडिकल कालेज के वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक डा. अनिल गुप्ता कहते हैं कि कई लोग टीका शुरू में नहीं लगवाते। ऐसे बच्चों को जन्म के नौ महीने के भीतर सभी टीके एक साथ लगाए जा सकते हैं। यह टीकाकरण के मानक में होता है। इस बच्चे की मौत दुखद है, लेकिन टीके से संक्रमण फैलने व मौत होने पर यकीन नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि बच्चे को दौरा पड़ गया हो। बेटी की भी ऐसे ही गई थी जान
संसू, सुवंसा : पूरे खरगराय निवासी मोनू गौतम की पत्नी पूजा अपने मासूम बेटे की मौत से सुध-बुध खो बैठी है। उसे क्या पता था कि जीवनरक्षक टीका लगवाने से लाडले की जान चली जाएगी। पूजा के साथ चार साल पहले भी ऐसा एक हादसा हो चुका है। उसकी एक बेटी भी इसी तरह बीसीजी का टीका लगने के बाद पर मौत का शिकार हो चुकी है। उस वक्त भी स्वजन हंगामे पर उतारू हो गए थे, लेकिन ग्रामीणों ने किसी तरीके से समझा बुझाकर मामला शांत करा लिया था। यही कारण था कि इस बार भी पूजा अपने मासूम बेटे को कोई भी टीका लगवाने नहीं आ रही थी, लेकिन आसपास के लोगों ने कहा कि टीका लगवाना जरूरी है तो वह अस्पताल पहुंची। चिकित्सक भले ही टीके से मौत न मानें, लेकिन उसकी मां इसी पर अड़ी है। वह कह रही है कि एक बेटी दो साल की ही बची है। उसे अभी तक कोई भी टीका नहीं लगवाया है। अब वह अपनी दो संतानों को खो देने के बाद वह बेसुध पड़ी है। कोट------------
स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए डिप्टी सीएमओ डा. सीपी शर्मा की देखरेख में टीम गठित की गई है। टीम टीके का सैंपल भी जांच को लैब में भेजेगी।
-डा. एके श्रीवास्तव, सीएमओ