निर्दलियों का चला सिक्का, सपा ने भी लहराया परचम
जिला पंचायत सदस्यों की 57 सीटों में से 53 सीटों का परिणाम तीसरे दिन घोषित हुआ लेकिन चार सीटों का परिणाम अभी भी लटका रह गया। इसकी घोषणा बुधवार को ही हो पाएगी। वहीं ताजा परिणाम के तहत 16 सीटों पर निर्दलीयों ने अपना सिक्का जमाकर बड़े-बड़े धुरंधरों की सारी रणनीति पर पानी फेर दिया। प्रतिद्वंद्वी दलों को पीछे छोड़ते हुए 15 सीटों पर चुनाव जीतकर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही। सारी ताकत झोंकने के बाद भी सत्ताधारी दल भाजपा के खाते में महज पांच सीट ही आ पायी और कांग्रेस को भी पांच सीट पर ही विजय मिल सकी। वहीं बसपा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा जबकि निषाद पार्टी ने एक सीट पर विजय का परचम लहरा खाता खोलने में कामयाबी हासिल की।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : जिला पंचायत सदस्यों की 57 सीटों में से 53 सीटों का परिणाम तीसरे दिन घोषित हुआ, लेकिन चार सीटों का परिणाम अभी भी लटका रह गया। इसकी घोषणा बुधवार को ही हो पाएगी। वहीं ताजा परिणाम के तहत 16 सीटों पर निर्दलीयों ने अपना सिक्का जमाकर बड़े-बड़े धुरंधरों की सारी रणनीति पर पानी फेर दिया। प्रतिद्वंद्वी दलों को पीछे छोड़ते हुए 15 सीटों पर चुनाव जीतकर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही। सारी ताकत झोंकने के बाद भी सत्ताधारी दल भाजपा के खाते में महज पांच सीट ही आ पायी और कांग्रेस को भी पांच सीट पर ही विजय मिल सकी। वहीं बसपा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा, जबकि निषाद पार्टी ने एक सीट पर विजय का परचम लहरा खाता खोलने में कामयाबी हासिल की।
जिला निर्वाचन कार्यालय में मंगलवार को दिन भर कवायद के बावजूद जिला पंचायत की कुल 57 सीटों में से 53 सीटों का ही परिणाम मंगलवार की रात नौ बजे तक घोषित हो पाया। कालाकांकर प्रथम, कालांकाकर द्वितीय, कालाकांककर तृतीय एवं बाबागंज प्रथम पर हार-जीत का फैसला नहीं हो सका। ऐसे में घोषित 53 सीटों पर नजर डालें तो सबसे मजबूत स्थिति निर्दलीयों की रही। कुल 16 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। वहीं 15 सीटों पर कब्जा जमाकर सपा ने दूसरा स्थान बनाया। यह माना जा रहा है कि सपा के गढ़ में प्रतिद्वंद्वी सेंध नहीं लगा पाए। कुछ ऐसी ही स्थिति जनसत्ता दल की भी रही। उसके खाते में 10 सीटें गईं, इस तरह से यह पार्टी अपना तीसरा स्थान बनाने में सफल रही। कांग्रेस को महज पांच सीट से संतोष करना पड़ा। कुल 42 सीटों पर खड़े कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों में सिर्फ रामपुर खास में ही पांच सीटों पर विजय मिल पायी। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा के खाते में भी महज पांच सीट जुड़ पायीं। भाजपा अपने ही गढ़ में ही अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा पायी। जिला पंचायत सदस्य की 25 सीटों पर अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित करने वाली बसपा को महज एक सीट पर विजय मिल सकी। वहीं निषाद पार्टी ने एक सीट से अपना खाता खोला। ऐसे में अब भाजपा और कांग्रेस जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए लड़ाई में पीछे रह गईं। इस नई तस्वीर से साफ हो गया कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई में अब सपा और जनसत्ता दल के बीच जंग छिड़नी है। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशियों की शरण में इन दोनों दलों को जाना ही एकमात्र विकल्प होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि 16 नव निर्वाचित निर्दलीय सदस्यों में से कितने जनसत्ता दल और कितने सपा से जुड़ते हैं। सपा के अपने ही 15 सदस्य हैं, जबकि जनसत्ता दल के पास 10 सदस्य ही हैं। ऐसे में जनसत्ता दल को सपा की अपेक्षा अधिक जुगाड़ करना पडे़गा। अब देखना यह है कि दोनों में से कौन दल निर्दलीयों पर अपना जादू चला पाता है। निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने महत्व को समझ चुकें है। ऐसे में दोनों दलों के सामने इन पर अपना प्रभाव जमाना नई चुनौती से कम नहीं है। अब सबकी नजर जनसत्ता, सपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के हर कदम पर होगा। देखना है कि किस दल के सिर जिला पंचायत अध्यक्ष का ताज सजता है। ़
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एक नजर दलों की स्थिति पर
पार्टी --सदस्यों की संख्या
निर्दलीय -16
सपा-15
जनसत्ता -10
बसपा-1 भाजपा-05
कांग्रेस-05
निषाद-01