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अप्रशिक्षित होमगार्डों से कैसे कराएं यातायात नियमों का पालन

संसाधनों की कमी से जूझ रही यातायात पुलिस के सामने समस्या यह है कि वह अप्रशिक्षित होमगार्डों के सहारे यातायात नियमों का पालन कैसे कराएं। फिर भी सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस वाहनों की चेकिग व चालान करके लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरती करती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:57 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:57 PM (IST)
अप्रशिक्षित होमगार्डों से कैसे कराएं यातायात नियमों का पालन
अप्रशिक्षित होमगार्डों से कैसे कराएं यातायात नियमों का पालन

दिनेश सिंह, प्रतापगढ़ : संसाधनों की कमी से जूझ रही यातायात पुलिस के सामने समस्या यह है कि वह अप्रशिक्षित होमगार्डों के सहारे यातायात नियमों का पालन कैसे कराएं। फिर भी सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस वाहनों की चेकिग व चालान करके लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरती करती है।

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पूरे जिले को छोड़ दीजिए, मुख्य शहर में यातायात नियमों का पालन कराने के लिए ट्रैफिक पुलिस संसाधनों की कमी से जूझ रही है। दो दारोगा, 12 दीवान, 35 सिपाही के सापेक्ष यातायात पुलिस के पास एक दारोगा, चार दीवान व पांच सिपाही ही हैं। ऐसे में किसी तरह काम चलाने के लिए 45 होमगार्ड व 35 पीआरडी के जवान ट्रैफिक पुलिस में संबंद्ध किए गए हैं।

कहने को तो संख्या बल के हिसाब से 80 लोगों का स्टॉफ बढ़ गया, पर यह संख्या फिर गिनाने भर की है। इन अप्रशिक्षित होमगार्डों व पीआरडी के जवानों से यातायात व्यवस्था नहीं संभल पा रही है। इनके पीछे टीएसआइ, दीवान व सिपाही दौड़भाग करते रहते हैं। शहर के चौक, श्रीराम तिराहा, राजापाल टंकी चौराहा, ट्रेजरी चौराहा, आंबेडकर चौराहा, भंगवा चुंगी चौराहा, निर्मल पैलेस तिराहा, सदर मोड़, चिलबिला ओवरब्रिज, चिलबिला तिराहा ऐसे स्थान हैं, जहां दिन में वाहनों का दबाव अधिक रहता है। दिन भर जाम लगता रहता है, किसी तरह होमगार्डों व पीआरडी के जवानों से यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने को ट्रैफिक पुलिस कर्मी प्रयास कर रहे हैं।

उधर, सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए यातायात पुलिस ने एक नवंबर से जागरूकता अभियान शुरू किया। बाइक सवार को हेलमेट, चार पहिया वाहन चालक सहित सवारी को सीट बेल्ट बांधने, तेज रफ्तार में गाड़ी न चलाने समेत यातायात नियमों के प्रति जागरूक भी किया। यातायात के नियमों व संकेतकों से संबंधित पंफलेट का वितरण चौराहों, स्कूलों में किया। यातायात के नियमों से संबंधित स्कूलों में गोष्ठी व निबंध प्रतियोगिताएं भी कराईं। यह अभियान 30 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही रोज वाहनों की चेकिग के दौरान भी पुलिस लोगों को यातायात के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित भी करती है।

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चालान करके वसूले 1.44 करोड़ रुपये

यातायात नियमों का पालन न करने पर पुलिस रोज वाहनों का चालान करती है। पुलिस ने तीन साल में वाहनों का चालान करके एक करोड़ 44 हजार रुपये वसूल किया है। वर्ष 2018 में 40082 वाहनों का चालान करके 43 लाख 83 हजार 350 रुपये, वर्ष 2019 में 31794 वाहनों का चालान करके 41 लाख 12 हजार 850 रुपये और इस साल अब तक 50023 वाहनों का चालान करके 60 लाख 92 हजार 850 रुपये वसूल किया है।

हर साल तीन सौ से अधिक होती हैं मौंतें

सड़क हादसों में हर साल तीन सौ से अधिक मौंते होती हैं। जबकि इतनी ही लोग घायल भी होते हैं। वर्ष 2018 से अब तक कुल 1372 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 831 लोगों की जान गई है और 894 लोग घायल हुए हैं।

यहां सवारी वाहनों की संख्या कम है। यही वजह है कि घर पहुंचने की जल्दी में लोग उस वाहन से सफर करने को तैयार हो जाते हैं, जो ओवरलोड रहते है। यही नहीं, बाइक को लोग कार की तरह इस्तेमाल करते हैं। एक बाइक पर लोग दो बच्चे, पत्नी भी बैठा लेते हैं। इससे हादसे होने की संभावना बनी रहती है। वाहन चलाने वाले लोगों को यातायात नियमों का पालन कराने और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए होमगार्डों व पीआरडी के जवानों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा-

-अभय पांडेय, सीओ सिटी/ट्रैफिक

एआरटीओ के पास नहीं संसाधन

संसू, प्रतापगढ़ : संभागीय परिवहन विभाग संसाधनों का रोना रो रहा है। इस वजह से वह यातायात नियमों का सख्ती से पालन नहीं करा पा रहा है। विभाग के पास अपने सिपाही नहीं है। एआरटीओ उधार का सिपाही लेकर चलते हैं। ओवरस्पीड नापने का उपकरण भी विभाग के पास नहीं है। इसके साथ ही सबसे बड़ी समस्या यह है कि फिटनेस चेकिग वर्कशॉप का भी विभाग के पास अभाव है, ऐसे में फिटनेस की जांच औपचारिक ही हो पाती है। एआरटीओ सुशील कुमार मिश्रा ने बताया कि संसाधनों की कमी से समस्या आती है। इस बारे में डिमांड भेजी गई है।


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