सुदामा का नाम सुनते महल से दौड़ पड़े भगवान
अजगरा पीपरताली में श्रीमद्भागव कथा में आचार्य देवव्रत ने भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया।
अजगरा : पीपरताली में श्रीमद्भागव कथा में आचार्य देवव्रत ने भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। कथा प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का बखान किया। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा आचार्य देवव्रत ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए, यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने सखा से कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है और अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते द्वार की तरफ भागे। सामने सखा सुदामा को देखकर उन्हें हृदय से लगा लिया।विजय नारायण तिवारी व अमरावती तिवारी ने स्वागत किया। इस मौके पर सुग्रीव शुक्ल, श्यामलाल मिश्र, ऱामचरित्र मिश्र, फूलचंद्र तिवारी, भोले प्रसाद आदि रह
धर्म और संयम से जीवन सफल : मानव जीवन में धर्म और संयम न हो तो वासना जन्म ले लेती है। वासना युक्त मानव अधर्म के रास्ते पर चल सकता है। धर्म से ही सच्ची मानव सेवा की जा सकती है। यह बातें क्षेत्र के रघवापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य योगेश ने कही। उन्होंने कहा कि जिस राष्ट्र के लोग वासना से मुक्त होते हैं, वही राष्ट्र उन्नति के शिखर पर पहुंच सकता है। धर्म से ही राष्ट्र परिवार तथा समाज का उत्थान होता है। अमरनाथ पांडेय ने सभी का स्वागत किया। इस मौके पर दूधनाथ पांडेय, सुनील पांडेय, रामकुमार मिश्र, रमेश पांडेय, दिनेश पांडेय ने कथा का पान किया।
राम-लक्ष्मण ने खाए शबरी के जूठे बेर : पूरे तुलसी में चल रही रामलीला मंचन में राम लक्ष्मण को शबरी के जूठे बेर खाने का ²श्य देख आस्था में डूबे दर्शकों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ीं। लोग श्रीराम के जयकारे लगाने लगे। सीता की खोज में राम लक्ष्मण वन में भटक रहे हैं। राह में जो मिलता उसी से सीता के बारे में पूछने लगते। वहीं जंगल में अपनी कुटिया में राम नाम जपते हुए शबरी वर्षों से राम के आने की प्रतीक्षा कर रही है। राम की बाट जोहती शबरी के भजन- आवत होइहैं भगवान हो शबरी के वन मां, शबरी रहिया निहारे.., सुन दर्शक राम भक्ति में डूबे दिखे। तब अचानक शबरी की कुटिया में राम लक्ष्मण पहुंचते हैं। खुशी से विभोर हो शबरी दोनों भाइयों को जूठे बेर खिलाती है। इस मौके पर यज्ञ नारायण तिवारी, गणेश विश्वकर्मा, भोले सिंह, आशुतोष मिश्र, दिलीप मिश्र आदि रहे। संरक्षक मृत्युंजय शुक्ला ने आभार जताया।