आधी दुनिया ने फर्ज के हर मोर्चे पर पेश की मिसाल
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी। नारी की तस्वीर अब ऐसी नहीं है। वह सबला हो गई है। अपनी योग्यता के बल पर घर से लेकर बाहर तक पति से लेकर बच्चों तक की जिम्मेदारी। फर्ज के हर मोर्चे पर उतनी ही तन्मयता से कर्तव्य व बहादुरी की संकल्पबद्धता भी। यह है प्रतापगढ़ की प्रगतिशील आधी दुनिया की पूरी कहानी।
जागरण टीम, प्रतापगढ़ : अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी। नारी की तस्वीर अब ऐसी नहीं है। वह सबला हो गई है। अपनी योग्यता के बल पर घर से लेकर बाहर तक, पति से लेकर बच्चों तक की जिम्मेदारी। फर्ज के हर मोर्चे पर उतनी ही तन्मयता से कर्तव्य व बहादुरी की संकल्पबद्धता भी। यह है प्रतापगढ़ की प्रगतिशील आधी दुनिया की पूरी कहानी। कोरोना काल में सरकारी व घरेलू महिलाओं ने जिम्मेदारी को जिस तरह से पूरा किया वह सराहनीय है। खासकर ऐसी महिलाएं जो पुलिस या स्वास्थ्य सेवा में रहीं उनके लिए कोरोना काल में अपनी व दुधमुहें बच्चे की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती थी। इसका मुकाबला करते हुए उन्होंने दोनों में गजब का सामंजस्य दिखाया। तभी तो कहा गया है कि नारी तू नारायणी। विश्व महिला दिवस आठ मार्च के मौके पर ऐसी ही कुछ नारियों के जुनून को सम्मान देती स्टोरी। ड्यूटी के साथ बेटी का भी धर्म निभाया
मीरजापुर जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र के सुलेखापुरम मोहल्ले की रहने वाली गायत्री मिश्रा वर्ष 2017 बैच की सिपाही हैं। वह नगर कोतवाली में तैनात हैं। इनके पिता रमेश मिश्रा पुलिस विभाग में चालक हैं, वह सीओ की गाड़ी चलाते हैं। लॉकडाउन के दौरान पिता-पुत्री ने मुस्तैदी से ड्यूटी की। गायत्री सुबह आठ बजे कोतवाली में पहुंच जाती थी, वह जन सुनवाई पटल पर तैनात थी। कोरोना वायरस के संक्रमण की परवाह किए बिना वह पीड़ित की पीड़ा बड़े सलीके से सुनती थीं। वह पीड़ित के दर्द को महसूस करती थीं और संबंधित दारोगा से पीड़ित की समस्या का समय से निस्तारण कराने का पूरा प्रयास करतीं थीं। वह मुस्कराकर लोगों की तकलीफ को सुनतीं थी तो पीड़ित का एक सुखद एहसास होता था। जहां लोग पुलिस के प्रति नकारात्मक सोच रखते थें, वहीं गायत्री के व्यवहार ने लोगों की सोच को बदलने का भी काम किया। जब भी हॉट स्पाट इलाके में ड्यूटी लगती थी, वह बैरियर पर भी बड़ी मुस्तैदी से ड्यूटी देतीं थीं। यही नहीं ड्यूटी पर आने से पहले वह बेटी का भी धर्म निभाते हुए पिता के लिए टिफिन तैयार करके आती थीं। इस समय वह नगर कोतवाली में महिला हेल्प डेस्क में तैनात हैं। गोद में कलेजे का टुकड़ा लेकर डटीं हॉट स्पाट में
कोरोना काल के दौरान एक ओर सरकार जहां छोटे बच्चों को घर से बाहर न निकलने की अपील कर रही थी ।वहीं दूसरी ओर सिपाही प्रियंका सिंह अपने एक साल के बेटे के साथ हॉट स्पाट एरिया में अपने दायित्वों का निर्वाहन करती रहीं । कानपुर जिले के बिधनू थाना क्षेत्र के गोपाल नगर (किदवई नगर) की रहने वाली 2016 बैच की सिपाही हैं । उनके पति आरबी सिंह भी 2016 बैच के सिपाही हैं। प्रियंका कोहंडौर थाने में तैनात हैं, उनके पति कोहंडौर थाने के डायल 112 में तैनात हैं । कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में प्रियंका की ड्यूटी कोहंड़ौर कस्बे में कई हॉट स्पाट इलाके में लगीं। वह संक्रमण की परवाह किए बिना एक साल के बेटे अयांश के साथ मुस्तैदी से ड्यूटी करती रहीं। परिवार में कोई अन्य सदस्य न होने की वजह से उन्हें ड्यूटी के दौरान मासूम बेटे को भी साथ लेकर जाना पड़ता था। इस समय भी वह ड्यूटी के दौरान बेटे को थाने पर लेकर आती हैं। वह कहती हैं कि बेटे और पति के प्रति जिम्मेदारियों के साथ ही ड्यूटी निभाना उनका फर्ज हैं । पारुल के जुनून के आगे हारा कोरोना
जिला महिला अस्पताल की चिकित्साधिकारी डॉ. पारुल सक्सेना ने कोरोना काल में कर्तव्यनिष्ठा व सेवा की सराहनीय मिसाल पेश की। वह हर दिन ओपीडी करती रहीं, जबकि उनका मासूम का बेटा है। उस वक्त वह और छोटा था, लेकिन उसे घर पर आया के भरोसे छोड़कर अस्पताल आती रहीं। उनको सेवा से सुकून तो मिला, पर वह और उनके परिवार के सभी सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए। इनके पिता का निजी अस्पताल भी घर ही था, जिसे प्रशासन ने गाइड लाइन के तहत सील कर दिया। खास बात यह कि कोरोना भी इनके हौसले को तोड़ न सका। जैसे ही डॉ. पारुल स्वस्थ हुईं, फिर से ड्यूटी पर हाजिर हो गईं। उनके इस जुनून की सराहना अफसरों ने की। उनको डीएम ने कोरोना योद्धा सम्मान पत्र दिया। इसी प्रकार कोरोना काल में जब प्रवासी श्रमिक ट्रेन से भेजे जाने लगे तो उनको स्टेशन से घर तक पहुंचाने का जिम्मा रोडवेज को मिला। प्रतापगढ़ डिपो की दर्जनों बसें इसमें लग गईं। यहां की महिला परिचालक सुमन पटेल ने भी इस संकट व जोखिम के दौर में आगे बढकर काम किया। उन्होंने बिना अवकाश की मांग किए लगातार संदिग्ध कोरोना प्रभावित लोगों को उनके घर पहुंचाया। चुनौतियों के आगे नहीं डिगे कदम
कोरोना काल में महिला अफसर ने भी अपनी जान हथेली पर रखकर पूरी जिम्मेदारी निभाकर शासन की मंशा पर खरा उतरा। । मामूली रूप से बीमार होने के बाद भी उनके कदम नहीं डगमागाए। कोरोना काल में परदेस से आए प्रवासियों को रोजगार देने के लिए गांव-गांव गईं। हालांकि महिला अफसर के प्रयास से प्रवासियों को काफी राहत मिली। हम बात कर रहे हैं कि सदर ब्लाक में बीडीओ के पद पर तैनात डॉ. आकांक्षा सिंह की। आकांक्षा मूलत: रायबरेली शहर की रहने वाली हैं। दिसंबर 2019 में उन्होंने सदर ब्लाक का चार्ज संभाला। अचानक अप्रैल माह में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने लगा। संक्रमण से बचने के लिए परदेस से मजदूर अपने घर आने लगे। कोरोना में आए प्रवासी को राशन व रोजगार का संकट न झेलना पड़े, इसके लिए शासन का निर्देश जारी हुआ कि गांव में सारे प्रवासियों को मनरेगा में रोजगार दिया जाए। शासन के निर्देश को अमल करते हुए बीडीओ ने कोरोना में अपनी जान हथेली पर रखकर वह सदर ब्लाक की दर्जनों ग्राम पंचायतों में जाकर प्रवासियों को मनरेगा में रोजगार दिलाया। तालाब की खोदाई, चकरोड का निर्माण के अलावा अन्य जगह के रोजगार गांव में ही उपलब्ध करवाया। समझी दूसरों की पीड़ा, दिया सहयोग
कोरोना काल में जहां स्कूल कालेज बंद हो गए थे वहीं लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे। इस संक्रमण काल में संस्कार प्रज्ञावर्धन एकेडमी चिलबिला की प्रबंधक नीतू राजेश अग्रवाल ने जहां बच्चों की सारी फीस उन्होंने माफ कर दी वहीं अभिभावकों व जरूरतमंदों को राशन भी दिया। इसके साथ ही उन्होंने मास्क व सैनिटाइजर क भी वितरण किया। लॉकडाउन के दौरान छूट मिलने के दौरान वह अपन गाड़ी में काफी मात्रा में मास्क, सैनिटाइजर व भोजन सामग्री लेकर निकलती थीं। रास्ते में पड़ने वाले हॉट स्पाट स्थलों पर ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों को भोजन के साथ ही मास्क व सैनिटाइजर उन्हें दे कर कोरोना से बचने की अपील करती थीं। स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की दस माह की फीस उन्होंने माफ कर दिया। इसके अलावा व्हाट्सएप ग्रुप पर बच्चों को आनलाइन शिक्षण सामग्री भेजकर उन्हें आनलाइन पढ़ाया गया। नीतू ने बताया कि कोविड-19 कोरोना के प्रभाव के चलते शिक्षा पर अधिक असर पड़ा। बच्चों को सुरक्षित रखते हुए उनकी पढ़ाई जारी रखी गई।