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प्रतापगढ़ से कोलकाता तक होगा मछली का व्यापार

एक जिला-एक उत्पाद के तहत यहां से आंवला का व्यापार पूरे देश में फैला। वहीं अब इस ऐतिहासिक जिले से पटना और कोलकाता तक मछली का कारोबार फैलेगा। इसके लिए जिले भर में सैकड़ों ग्राम पंचायतों में स्थित तालाब मछली पालन के संवाहक बनेंगे। यह काम ना तो मत्स्य विभाग कर रहा है और ना ही कोई मछुआरों का संघ। यह बीड़ा उठाया है कमजोर वर्ग की उन तमाम महिलाओं ने जो पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना (एनआरएलएम) से जुड़कर आर्थिक व्यवस्था को ऊंचाई देने में लगातार श्रमदान कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 10:57 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 10:57 PM (IST)
प्रतापगढ़ से कोलकाता तक होगा मछली का व्यापार
प्रतापगढ़ से कोलकाता तक होगा मछली का व्यापार

प्रवीन कुमार यादव, प्रतापगढ़ : एक जिला-एक उत्पाद के तहत यहां से आंवला का व्यापार पूरे देश में फैला। वहीं अब इस ऐतिहासिक जिले से पटना और कोलकाता तक मछली का कारोबार फैलेगा। इसके लिए जिले भर में सैकड़ों ग्राम पंचायतों में स्थित तालाब मछली पालन के संवाहक बनेंगे। यह काम ना तो मत्स्य विभाग कर रहा है और ना ही कोई मछुआरों का संघ। यह बीड़ा उठाया है कमजोर वर्ग की उन तमाम महिलाओं ने जो पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना (एनआरएलएम) से जुड़कर आर्थिक व्यवस्था को ऊंचाई देने में लगातार श्रमदान कर रही हैं।

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एलआरएलएम विभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो जिले भर में पांच हजार से अधिक महिलाएं समूह से जुड़ी हैं। इसमें तीन हजार से अधिक महिलाएं विभिन्न योजनाओं से मिले पैसे से व्यवसाय कर रही हैं। कोई बकरी पालन कर रहा है तो कोई बेबी ट्राई साइकिल। यहां तक कि कई महिलाएं नर्सरी, आंवले का उत्पाद आदि तैयार कर रही हैं। अब जिले के मानधाता, बाबा बेलखरनाथ ब्लाक के कई समूह की महिलाएं मछली पालन पर व्यापक स्तर पर काम शुरू करेंगी। हालांकि निचले स्तर पर काम शुरू किया जा चुका है, लेकिन इसे अब विस्तार देने की कवायद चल रही है। ब्लाकों के मिशन प्रबंधक को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। एनआरएलएम के जिला मिशन प्रबंधक अख्तर मसूद ने बताया कि मछली पालन कर महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी। इस पर समूह की महिलाएं बड़े पैमाने पर काम शुरू करने जा रही हैं।

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मनरेगा से बनेंगे छोटे-छोटे तालाब

समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बने, इसके मकसद से मछली पालन पर विभाग विशेष जोर दे रहा है। खास बात यह है कि मनरेगा से गांव में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएंगे। तालाब तैयार होने के बाद इसे समूह को दे दिया जाएगा। महिलाएं सामुदायिक निवेश निधि व रिवाल्विग फंड से मछली का पालन करेंगी।

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कई गांवों में शुरू हुआ कारोबार

जिले के मानधाता ब्लाक के खजोहरी, सराय नहरराय, लाखापुर, सराय भीमसेन हित अन्य कई ब्लाकों की ग्राम पंचायतों में समूह की महिलाएं मछली पालन कर रही हैं। हालांकि इससे महिलाओं की हर माह छह से आठ हजार रुपये की आय हो रही है। अब इसे बड़े पैमाने पर काम करेंगी।

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समूह को मिलेंगे सवा लाख रुपये

मछली पालन करने के लिए प्रत्येक समूह के खाते में सवा लाख रुपये भेजे जाएंगे। इसमें रिवाल्विग फंड के तहत 15 हजार रुपये व सामुदायिक निवेश निधि के तहत एक लाख 10 हजार रुपये समूह के खाते में भेजा जाएगा। इस तरह से कुल सवा लाख रुपये से महिलाएं यह काम शुरू करेंगी।


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