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अव्यवस्था के चलते देर से घोषित हो सके जिपसं के नतीजे

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना जिले में मजाक बन कर रह गई। जीतने के बाद भी विनर अपना परिणाम अधिकृत रूप से सुनने व जानने को दिन-दोपहर तरसते रहे। कहीं सूची नहीं बनी तो कहीं एआरओ ढीले रहे। खासकर जिला पंचायत सदस्य पद के परिणाम तो चौबीस घंटे से अधिक समय तक फाइलों में कैद रहे। इस कारण विजेता व समर्थक खुशी नहीं मना पा रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 11:56 PM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 11:56 PM (IST)
अव्यवस्था के चलते देर से घोषित हो सके जिपसं के नतीजे
अव्यवस्था के चलते देर से घोषित हो सके जिपसं के नतीजे

जासं, प्रतापगढ़ : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना जिले में मजाक बन कर रह गई। जीतने के बाद भी विनर अपना परिणाम अधिकृत रूप से सुनने व जानने को दिन-दोपहर तरसते रहे। कहीं सूची नहीं बनी तो कहीं एआरओ ढीले रहे। खासकर जिला पंचायत सदस्य पद के परिणाम तो चौबीस घंटे से अधिक समय तक फाइलों में कैद रहे। इस कारण विजेता व समर्थक खुशी नहीं मना पा रहे थे।

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जनपद में जिला पंचायत सदस्य पद 57 हैं। उसकी गणना करने में पूरे 50 घंटे लग गए। मंगलवार दोपहर के बाद परिणाम के बारे में बताना शुरू किया जा सका। इधर काउंटिग में देर होने से कई बार मतगणना स्थल पर हंगामा होता रहा। जीते हुए उम्मीदवारों और दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों के समर्थकों में कटाक्ष से माहौल भी खराब होता रहा। सहायक निर्वाचन अधिकारियों द्वारा कोई जानकारी उनको नहीं दी जा रही थी। जब रविवार को रात दो बज गए तो तब तक बताया गया कि मतगणना चल रही है। इसके बाद सोमवार को भी पूरा दिन इसी में निकल गया। रात भी बीतने लगी। प्रमाण पत्र लेने के लिए सदर तहसील में विनर्स का जमावड़ा रहा। यहां रात के दो बजे तक केवल दो प्रमाण पत्र जारी हो सके थे। इसके बाद मौखिक रूप से बताया गया कि मंगलवार को रात 11 बजे विजेता उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र निर्गत किए जाएंगे। इस वादे पर भी लगाए गए अफसर खरे नहीं उतरे। मुख्य राजस्व अधिकारी को डीएम ने जिला पंचायत का आरओ बनाया था। हर कदम पर भारी अव्यवस्था के चलते मतगणना हो जाने के बाद भी उसकी घोषणा माइक से करने में पहाड़ चटक गया। देर होने से मतगणना परिसर में अंदर व बाहर भारी भीड़ रही। इसके बाद मंगलवार को दिन में दो बजे तक केवल तीन विनर्स को प्रमाण पत्र दिए जा सके थे। बाकी लोग अंदर-बाहर इंतजार कर रहे थे। कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ती रहीं।

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एआरओ को घर से ले आई पुलिस

प्रमाण पत्र पर एआरओ का हस्ताक्षर अनिवार्य होता है। जब प्रमाण पत्र देने का समय आया तो कई ने अपना मोबाइल बंद कर लिया। घर पर थकान मिटाने चले गए। इससे तहसील में हंगामे के हालात पैदा होने लगे। पुलिस पर शांति-व्यवस्था का दबाव पड़ने लगा। इधर संडवा चंद्रिका के एआरओ को तो वहां की पुलिस घर से उठा ले आई। तब वह प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करना शुरू किए।


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