संकट की घड़ी में भी बुझने ना दिया ज्ञान का दीया
गुरु-गोविद दोऊ खड़े काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविद दियो बताय। गुरु की महिमा का महत्व इन पंक्तियों से आसानी से समझा जा सकता है। कोरोना काल में इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले शिक्षक श्याम प्रकाश मौर्य व आलोक सिंह ने संकट की घड़ी में भी ज्ञान के दीये को बुझने ना दिया।
रमेश चंद्र त्रिपाठी, प्रतापगढ़ : गुरु-गोविद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविद दियो बताय। गुरु की महिमा का महत्व इन पंक्तियों से आसानी से समझा जा सकता है। कोरोना काल में इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले शिक्षक श्याम प्रकाश मौर्य व आलोक सिंह ने संकट की घड़ी में भी ज्ञान के दीये को बुझने ना दिया।
श्याम ने बच्चों को वितरित किया फोटोस्टेट शिक्षण सामग्री : मानधाता विकास खंड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मल्हूपुर के राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक श्याम प्रकाश मौर्य ने कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा से वंचित बच्चों को फोटो स्टेट सामग्री दी। इनमें ऐसे बच्चे रहे जो मोबाइल के अभाव में पढ़ नहीं पा रहे थे। स्कूल में चार अप्रैल से ऑनलाइन कक्षाओं का शुभारंभ किया। इसके साथ ही 10 अप्रैल से ऑनलाइन योग कक्षाएं शुरू की गईं। बच्चों के गृहकार्य को व्हाट्सएप के माध्यम से चेक किया गया। ऐसे गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षण सामग्री फोटो स्टेट कराकर दी गई, जिनके पास न तो मोबाइल था और न ही वह मोबाइल रिचार्ज कराने का पैसा। विद्यालय के बच्चों ने स्लोगन, क्राफ्ट व पोस्टर के माध्यम से लोगों में कोरोना से बचाव के प्रति जागरूकता फैलाई। 15 जुलाई को मेरी उड़ान कार्यक्रम में विद्यालय की छात्रा तनु मिश्रा द्वारा बनाया गया क्राफ्ट राज्य स्तर पर चयनित हुआ। 19 जुलाई 2020 को बाल प्रतिभा लोक राजस्थान में तनु मिश्रा तथा शिवानी मौर्य ने ऑनलाइन काव्य पाठ किया। ऑनलाइन कक्षाओं के साथ मोहल्ला क्लास भी चलाई जा रही है। यहां के बच्चे स्वयं का यू ट्यूब चैनल बनाकर शिक्षक की भूमिका में हैं।
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प्रोजेक्टर खरीद कर शुरू किया मूविग क्लास : कोरोना संक्रमण काल में छात्र-छात्राओं की शिक्षा बाधित न हो इसके लिए सत्येंद्र बहादुर सिंह इंटर कालेज के शिक्षक आलोक कुमार सिंह डोर टू डोर शिक्षा प्रदान करने का अभियान शुरू किया। इसके साथ ही प्रोजेक्टर खरीद कर मलिन बस्तियों में शिक्षा से वंचित बच्चों को मूविग स्मार्ट क्लास से जोड़ा। संध्याकाल में बच्चों को अपनी कार पर प्रोजेक्टर लगाकर नियमित रूप से पढ़ाया। इसके साथ ही अपने विद्यालय के बच्चों को भी इस मूविग स्मार्ट क्लास के माध्यम से निरंतर शिक्षा प्रदान की। इसका उद्देश्य यह था कि ऐसे बच्चे जो ऑनलाइन माध्यम से नहीं जुड़ पा रहे हैं। या जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं है उन्हें पढ़ाया जा सके। उन्हें इस माध्यम से निरंतर शिक्षित किया जाता रहा है और इसके साथ ही मिशन ज्योतिर्गमय की भी शुरुआत की गई। उद्देश्य रहा कि हम पढ़ेंगे और पढ़ाएंगे, देश को आगे बढ़ाएंगे। इसमें बच्चे ही बच्चों को पढ़ाते हैं ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा ग्रहण करने से वंचित न रह जाए।