स्वच्छता का प्रहरी, जागरूकता का नायक
सुबह होते ही शहर के करनपुर मोहल्ले में त्रिलोचन के घर दस्तक होती है। दरवाजा खोलने वाले को पता था कि उमेश आया होगा। उमेश ने हाथ बढ़ाया कूड़े की बाल्टी थामी। अचानक वह रुका अरे.भाई सूखा-गीला कचरा एक में ही भर दिया। ऐसा न करिए। इसको अलग-अलग रखा करिए। हमने इसके लिए चार रंग के डिब्बे रखे हैं। सामने से जवाब आया जरूर आगे से ऐसा ही करेंगे। इस जवाब पर मुस्कराकर उमेश ट्राली लेकर पैडल मारता आगे बढ़ जाता है।
प्रतापगढ़ : सुबह होते ही शहर के करनपुर मोहल्ले में त्रिलोचन के घर दस्तक होती है। दरवाजा खोलने वाले को पता था कि उमेश आया होगा। उमेश ने हाथ बढ़ाया, कूड़े की बाल्टी थामी। अचानक वह रुका, अरे.भाई सूखा-गीला कचरा एक में ही भर दिया। ऐसा न करिए। इसको अलग-अलग रखा करिए। हमने इसके लिए चार रंग के डिब्बे रखे हैं। सामने से जवाब आया, जरूर, आगे से ऐसा ही करेंगे। इस जवाब पर मुस्कराकर उमेश ट्राली लेकर पैडल मारता आगे बढ़ जाता है।
अब आप समझ गए होंगे कि हम जिस उमेश की बात कर रहे हैं, दरअसल वह एक सफाईकर्मी है। यह सही है कि वह सफाईकर्मी ही है, पर औरों से अलग। कोरोना काल में उसकी जागरूकता समाज को सजग कर रही है। वह केवल नाली, सड़क, गलियों की गंदगी ही नहीं हटाता, विचारों में जमी परत भी खुरच देता है। यूं तो उमेश जामो सुलतानपुर का है। नगर पालिका में संविदा सफाईकर्मी के तौर पर एक एजेंसी से अटैच है। वह अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन उसकी कार्यशैली शिक्षितों के लिए मिसाल ही है। टूटी-फूटी लिखावट में उसने कई तरह का संदेश लिखी तख्ती अपनी ट्राली में लगा रखी है। यही नहीं वह ग्लब्स, मास्क, सुरक्षा किट से लैस होकर काम करता है। वह मलिन बस्तियों में जाकर अशिक्षित लोगों को सफाई के फायदे बताकर प्रेरित करता है। उनके बीच वह एक कलाकार नजर आता है। उसके नाटकीय अंदाज में बात करने के सभी कायल हैं। वह लोगों में स्वच्छता के संबंध में जागरूक करने वाला पर्चे भी बांटता है। उमेश कहता है कि उसे बापू के उस संदेश से प्रेरणा मिली, जो उन्होंने कहा था कि अपने काम को कभी छोटा मत समझो, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। उसी संदेश ने उसके कदम को कभी रुकने नहीं दिया।