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गंगा के किनारे गांवों में नहीं जगी स्वच्छता की अलख

गंगा यात्रा को लेकर अफसरों ने भले ही गंगा के किनारे बसे गांवों में साफ- सुथरा बनाने की तैयारी में दिन रात एक कर दिया था लेकिन अभी गंगा के किनारे बसे गांवों में स्वच्छता की अलख नहीं जग सकी। गंगा के किनारे बसा है खमसरा गांव। जहां पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया गया लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। अधूरे शौचालय में गांव के लोग उपली रखने में इस्तेमाल कर रहे हैं। शौचालय अधूरे होने से गांव के लोग गंगा के किनारे खुले में शौच करने जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 11:55 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 06:04 AM (IST)
गंगा के किनारे गांवों में नहीं जगी स्वच्छता की अलख
गंगा के किनारे गांवों में नहीं जगी स्वच्छता की अलख

संवाद सूत्र, कुंडा : गंगा यात्रा को लेकर अफसरों ने भले ही गंगा के किनारे बसे गांवों में साफ- सुथरा बनाने की तैयारी में दिन रात एक कर दिया था, लेकिन अभी गंगा के किनारे बसे गांवों में स्वच्छता की अलख नहीं जग सकी। गंगा के किनारे बसा है खमसरा गांव। जहां पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। अधूरे शौचालय में गांव के लोग उपली रखने में इस्तेमाल कर रहे हैं। शौचालय अधूरे होने से गांव के लोग गंगा के किनारे खुले में शौच करने जाते हैं।

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गंगा यात्रा के दौरान गांव में विकास कार्यों का खूब ढिढोरा पीटा गया था, लेकिन हकीकत में केवल कोरम पूरा किया गया है। दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को ब्लाक कुंडा के गंगा किनारे बसे खमसरा गांव पहुंची। जहां पर जगह-जगह फैली गंदगी, कीचड़ भरा मार्ग व अधूरे शौचालय बदहाली की कहानी बयां करते हुए ग्राम प्रधान द्वारा कराए गए विकास कार्यो की पोल खोल रहे थे। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव को ओडीएफ घोषित किया गया है, लेकिन मौके पर शौचालय अधूरे पड़े हैं। गांव में लक्ष्य से आधे से कम शौचालयों का निर्माण कराया गया है, लेकिन वह भी जर्जर स्थित में है। गांव के लोग उसमें उपली रखने में इस्तेमाल कर रहे हैं। कई के तो दरवाजे ही टूटे पड़े हैं। इसलिए उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गांव की रामपति, लालती सरोज, कमला देवी, निशा सरोज आदि ने बताया कि हमारे यहां शौचालय ही नहीं बना है। परिवार के लोग खुले में शौच को जाते हैं। कई बार प्रधान से शौचालय की मांग की गई, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। सीडीओ अश्वनी कुमार पांडेय ने बताया कि जल्द ही मामले की जांच कराई जाएगी।

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बोले ग्रामीण--

गांव में विकास के नाम पर पैसे की बंदरबांट हुई है। प्रधान ने सिर्फ शौचालय की दीवार उठवाई थी, जो जर्जर होकर गिर चुकी है। आवास की सूची में नाम था, जबकि दूसरे को दे दिया गया।

-रमेश चंद्र विश्वकर्मा

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण में सरकारी धन को हजम किया गया है। साल भर पहले बने शौचालय का दरवाजा टूट गया है। शौचालय का गढ्डा भी अधूरा पड़ा है।

-शिव कुमार

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हमका तौ प्रधान शौचालय नहीं देहेन, लेकिन जब हम ठंडीया में सुने कि हमरे गांव मा जोगी जी अइहै तौ हम उनसे शौचालय का कहब लेकिन उ तौ अउबै न भैन। हम केसे कही।

-सूरज कली

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गांव में प्रधान द्वारा जो शौचालय बनवाया गया है, वह इस्तेमाल करने लायक नहीं है। वह इतना जर्जर है कि वह कब गिर पड़े, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में खुले में शौच करना मजबूरी है।

-विमला देवी


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