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मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की रैकिग में बेल्हा 16 वें पायदान पर

मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की रैकिग दिन पर दिन गिरती जा रही है। एक ओर जहां माह भर पहले प्रतापगढ़ जनपद टॉप टेन जिलों में अपनी जगह बनाया था वहीं अब जनपद की रैंकिग 16वें स्थान पर है। दिन पर दिन हो रही खराब प्रगति की वजह गांव के सचिव व रोजगार सेवक हैं। उनकी लापरवाही का खामियाजा विभाग के अफसरों को भुगतना पड़ रहा है। मीटिग में अफसरों को खड़ा होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 10:56 PM (IST)
मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की रैकिग में बेल्हा 16 वें पायदान पर
मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की रैकिग में बेल्हा 16 वें पायदान पर

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की रैकिग दिन पर दिन गिरती जा रही है। एक ओर जहां माह भर पहले प्रतापगढ़ जनपद टॉप टेन जिलों में अपनी जगह बनाया था, वहीं अब जनपद की रैंकिग 16वें स्थान पर है। दिन पर दिन हो रही खराब प्रगति की वजह गांव के सचिव व रोजगार सेवक हैं। उनकी लापरवाही का खामियाजा विभाग के अफसरों को भुगतना पड़ रहा है। मीटिग में अफसरों को खड़ा होना पड़ रहा है।

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जिले भर में 17 ब्लाक हैं। इसके अंतर्गत एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। इसके अंतर्गत करीब लाख मनरेगा मजदूर हैं। इसमें से डेढ़ लाख सक्रिय तो डेढ़ लाख निष्क्रिय मजदूर हैं। विभाग के अनुसार 34 हजार 57 को ही रोजगार दिया जा चुका है। मिले आंकड़े पर गौर करें तो आसपुर देवसरा ब्लाक की ग्राम पंचायतों में एक हजार 165, बाबा बेलखरनाथ धाम में दो हजार 279, बाबागंज में तीन हजार 735, बिहार में पांच हजार 131, गौरा में एक हजार 248, लक्ष्मणपुर में एक हजार 193, कालाकांकर में दो हजार 65, कुंडा में तीन हजार 122 में मनरेगा मजदूर काम कर रहे हैं। इसी तरह से लालगंज में 969, मंगरौरा में एक हजार 861, मानधाता में दो हजार 618, पट्टी में एक हजार 284, सदर में एक हजार 156, रामपुर संग्रामगढ़ में एक हजार 458, संडवा चंद्रिका में दो हजार 159,, सांगीपुर में एक हजार 184सहित अन्य ब्लाकों में कुल मिलाकर 34 हजार 57 मजदूर काम कर रहे हैं। मजदूरों की संख्या कम होने से अफसरों की किरकिरी हो रही है। डीसी मनरेगा डॉ. एनएन मिश्रा ने बताया कि गांव में औचक निरीक्षण करके इसकी हकीकत देखी जाएगी।जो भी सचिव व रोजगार सेवक मनमानी कर रहे हैं, उनको बख्शा नहीं जाएगी। ---- दो ब्लाक एक हजार नही किए पार मनरेगा मजदूरों को भले ही कागजों में काम दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर कुछ और देखने को मिल रहा है। मनरेगा मजदूरों को काम देने में शिवगढ़ व लालगंज ब्लाक एक हजार की संख्या नहीं पार कर सका। जबकि एक ब्लाक में 60 से अधिक गांव हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनरेगा में तैनात अफसर व कर्मी कितनी जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं। --- 204 मजदूरी भी बनी वजह गांव में मनरेगा मजदूरों को काम करने के एवज में प्रतिदिन 204 रुपये के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। नियम है कि सप्ताह भर के भीतर उनको मजदूरी मिल जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। कई मजदूर ऐसे हैं जिनको माह भर व उससे पहले से मजदूरी नहीं मिली। मजदूरी समय से न मिलने व कम मिलने की वजह से भी प्रभाव पड़ रहा है। कई तो काम ही करना बंद कर दिए।


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