Move to Jagran APP

जल संरक्षण के ²ष्टिकोण से होगी बांस की खेती, अचार बना मिलेंगे पैसे

जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन ने बैंबू मिशन एवं जैव ऊर्जा बोर्ड के तहत के तहत बांस की खेती कराने का निर्णय लिया है। बांस की खेती से किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ जलवायु को सु²ढ़ बनाने और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा। बांस की खेती से बंजर जमीन को उपजाऊ करने में मदद मिलेगी। इससे भूमिहीनों सहित छोटे एवं मझोले किसानों और महिलाओं को आजीविका मिलेगी और उद्योग को गुणवत्ता संपन्न सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। इस पर मनरेगा विभाग कार्ययोजना तैयार कर रहा है। आने वाले दिनों में व्यापक स्तर पर बांस की खेती होनी शुरू हो जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 05:03 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 05:03 PM (IST)
जल संरक्षण के ²ष्टिकोण से होगी बांस की खेती, अचार बना मिलेंगे पैसे
जल संरक्षण के ²ष्टिकोण से होगी बांस की खेती, अचार बना मिलेंगे पैसे

प्रतापगढ़ : जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन ने बैंबू मिशन एवं जैव ऊर्जा बोर्ड के तहत के तहत बांस की खेती कराने का निर्णय लिया है। बांस की खेती से किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ जलवायु को सु²ढ़ बनाने और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा। बांस की खेती से बंजर जमीन को उपजाऊ करने में मदद मिलेगी। इससे भूमिहीनों सहित छोटे एवं मझोले किसानों और महिलाओं को आजीविका मिलेगी और उद्योग को गुणवत्ता संपन्न सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। इस पर मनरेगा विभाग कार्ययोजना तैयार कर रहा है। आने वाले दिनों में व्यापक स्तर पर बांस की खेती होनी शुरू हो जाएगी।

loksabha election banner

जिले में नदी के तट वाले इलाकों में बांस की खेती कराने को लेकर व्यापक स्तर पर कार्रवाई चल रही है। इसके पीछे जिला प्रशासन का मकसद है कि बंजर जमीन उपजाऊ हो। किसानों व गरीब लोगों को आजीविका मिले। खास बात यह है कि इससे पानी व मिट्टी की बचत होगी। इसके लिए कुंडा, लक्ष्मणपुर, संडवा चंद्रिका व मानधाता सहित अन्य कुछ ब्लाकों को चिहित किया गया है। इन ब्लाकों की ऐसी ग्राम पंचायतों में बांस की खेती होगी, जो नदी के किनारे के गांव बसे हैं। आय से वह आत्मनिर्भर बनेंगे। खास बात यह है कि बांस का इस्तेमाल खाने में भी होता है। इसका अचार बनता है। इसके अलावा इसका उपयोग सीढ़ी, फर्नीचर, झाबे आदि में भी किया जाता है। पहले की अपेक्षा देखा जाय तो बांस की पैदावार काफी कम हो गई है। जरूरत पड़ने पर काफी महंगे दाम पर बांस मिलता है। इससे एक बार फिर बांस की उपज व्यापक स्तर पर जिले में देखने को मिलेगी। डीसी मनरेगा अजय कुमार पांडेय ने बताया कि बांस की खेती जल्द ही शुरू कराई जाएगी। इससे एक ओर जहां जल संरक्षण होगा। वहीं दूसरी ओर इससे गरीब लोगों को आजीविका मिलेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.