बहिनी, इ चुनवना तौ जिउ कै जंजाल होइ गा..
कोरोना ने आने-जाने पर रोक लगा दी है। लोग डर रहे हैं कि कहीं जाने पर वह मुसीबत में पड़ सकते हैं। ऐसे में खाली समय में गांव-गांव पंचायत चुनाव की चर्चा हो रही है। महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं हैं। खेत बाग हो या दुरदुरिया का मौका वह चर्चा में मशगूल देखी जा रही हैं।
संवाद सूत्र, अजगरा : कोरोना ने आने-जाने पर रोक लगा दी है। लोग डर रहे हैं कि कहीं जाने पर वह मुसीबत में पड़ सकते हैं। ऐसे में खाली समय में गांव-गांव पंचायत चुनाव की चर्चा हो रही है। महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं हैं। खेत, बाग हो या दुरदुरिया का मौका, वह चर्चा में मशगूल देखी जा रही हैं।
अजगरा के कटहरिया गांव में महिलाओं की ऐसी ही चौपाल पर दैनिक जागरण प्रतिनिधि की नजर पड़ी। महिलाओं की बातों में उम्मीदवारों का एक्स-रे हो रहा था। कौन किस तरह का है, किसका इतिहास-भूगोल क्या है इस पर वह बड़ी बेबाकी से बात हो रही थी। समूह में शामिल सुषमा पाल ने कहा कि जब से निशान मिलि गा अउरै आफत मची बा। जे-जे लड़त अहैं, सबै आवत अहैं। बगल में मौजूद श्याम दुलारी व कमला यादव बोल पड़ीं..ऊ हाल जिन पूछा बहिन, सबेरे चौका बर्तन होइ के पहिलेन ओट मांगे वाले आइ जा थीं। कहां गएन काका, कहा अहैं बबलू, सबका पूछै लागाथेन। उनकी हां-में हां मिलाते हुए मनोरमा, रेखा यादव, संजू यादव, रेखा पाल, सोनी पाल, ग्यानमती पाल ने कहा कि सब अपने आप का सेवक कहत अहैं। हाथ जोरत अहैं। गोड़ धरत अहैं। हमरे तौ कुछु समझिन नाय आवत अहै कि का करी। केहपै भरोसा करी। कइयौ मेहरारू भी खड़ी अहैं। वै तौ नाहीं निकरति अहैं, ओनके बरे बेटवा मनसेधू ओट मांगत अहैं। अब देखा घरे मां का राय-सलाह हो था। जवन वै कहिहैं उहै करब।