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सदर सीट से अपना दल ने तीसरी बार लहराया परचम

आशुतोष तिवारी प्रतापगढ़ आखिर एक बार फिर अपना दल ने तीसरी बार अपनी जीत का परचम सदर ि

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 11:22 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 11:22 PM (IST)
सदर सीट से अपना दल ने तीसरी बार लहराया परचम
सदर सीट से अपना दल ने तीसरी बार लहराया परचम

आशुतोष तिवारी, प्रतापगढ़ : आखिर एक बार फिर अपना दल ने तीसरी बार अपनी जीत का परचम सदर विधानसभा सीट से लहराया। वर्ष 2000 में पहली बार इसी सीट से अपना दल का विधायक चुना गया था। यही वजह है कि अपना दल इस सीट को अपने लिए शुभ और मजबूत मानता है। भाजपा इस बार अपना प्रत्याशी यहां से उतारना चाहती थी, मगर ऐन वक्त अपना दल के अड़ जाने से भाजपा को पीछे हटना पड़ा। अपना दल की उम्मीद एक बार फिर परवान चढ़ी और इस सीट पर उसका कब्जा बरकरार रहा।

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यूं तो अब तक जिले की सदर विधानसभा क्षेत्र में पंद्रह बार हुए चुनाव में पांच बार कांग्रेस व तीन बार सपा का कब्जा रहा। पहली बार सदर विधानसभा से कांग्रेस के राजा अजीत प्रताप सिंह विधायक चुने गए थे। अपना दल ने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार यहां से इंट्री की। रजवाड़ों के इस गढ़ में अपना दल सेंध लगाने में कामयाब रही और उसके प्रत्याशी हाजी अब्दुल सलाम मुन्ना विधायक चुने गए। वर्ष 2017 में मोदी लहर में अपना दल-भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता निर्वाचित हुए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सदर विधायक संगम लाल गुप्ता के सांसद चुन लिए जाने से एक बार फिर सदर विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट से हुए उप चुनाव का निर्णय गुरुवार को हो गया। इस उप चुनाव में अपनादल भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में राजकुमार पाल के खाते में 52 हजार 949 मत पड़े। वहीं 23 हजार 928 मत पाकर सपा प्रत्याशी बृजेश वर्मा दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह से 29 हजार 721 मत से अपना दल ने तीसरी बार जीत दर्ज करा इतिहास रचा।

सदर विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार वर्ष 1967 में चुनाव हुआ था और कांग्रेस से राजा अजीत प्रताप सिंह निर्वाचित हुए थे। राजा अजीत प्रताप सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई। वह यहां से लगातार 1967, 1969 व 1974 में जीत दर्ज करा तीन बार विधायक चुने गए। अब अपना दल की तरफ से तीसरी बार की जीत का जश्न तो मनाया जा रहा है लेकिन कांग्रेस की तरह तीन बार लगातार जीत का रिकार्ड अभी उसके खाते में जुड़ना बाकी है। देश में आपातकाल लागू होने के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी का भी खाता खुला और संगमलाल शुक्ला पहली बार सदर विधान सभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद फिर वर्ष 1980 और 1985 में हुए चुनाव में कांग्रेस से लाल प्रताप सिंह निर्वाचित हुए। 1985 के बाद जनता दल की लहर में जनता दल से संगमलाल शुक्ला, वर्ष 1991 में भाजपा की लहर में भाजपा के बृजेश शर्मा निर्वाचित हुए। इसके बाद दो चुनावों में इस सीट पर सपा का कब्जा रहा। वर्ष 1993 में सपा का खाता खुला और लालबहादुर सिंह विधायक चुने गए। 1996 में भी सपा का खाता खुला और सीएन सिंह इस सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद वर्ष 2007 में बसपा की लहर में संजय त्रिपाठी, वर्ष 2012 में सपा की लहर में नागेंद्र यादव और 2017 में मोदी लहर में अपना दल-भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता निर्वाचित हुए थे।

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वर्ष - निर्वाचित विधायक

1967 राजा अजीत प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1969 राजा अजीत प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1974 राजा अजीत प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1977 संगमलाल शुक्ला (जनता पार्टी)

1980 लाल प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1985 लाल प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1989 संगमलाल शुक्ला (जनता दल)

1991 बृजेश शर्मा (भाजपा)

1993 लाल बहादुर सिंह (सपा)

1996 सीएन सिंह (सपा)

2000 (उपचुनाव) हाजी मुन्ना (अपना दल)

2002 हरि प्रताप सिंह (भाजपा)

2007 संजय त्रिपाठी (बसपा)

2012 नागेंद्र यादव मुन्ना (सपा)

2017 संगमलाल गुप्ता (अपना दल-भाजपा गठबंधन)।


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