चचेरे भाई से कहासुनी होने पर युवक ने फांसी लगाकर दी जान
चचेरे भाई से कहासुनी होने से झुब्ध युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना से स्वजनों में मातम छा गया।
संसू, परियावां : चचेरे भाई से कहासुनी होने से झुब्ध युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना से स्वजनों में मातम छा गया।
मध्य प्रदेश के भिड जिले के लहर थाना क्षेत्र के जमोहा गांव निवासी विनोद कुमार अपने परिवार के साथ नवाबगंज थाना क्षेत्र के लवाना चौराहा पर किराये का मकान में रहता है। वह जीवकोपार्जन के लिए यहां पानी पूरी का ठेला लगाता था। विनोद पखवारे भर पूर्व गांव गया था। वहां से वह अपने चचेरे भाई रविकांत (25) पुत्र आज्ञाराम को अपने साथ ले आया था। वह अपने साथ रविकांत को भी इसी धंधे में लगा लिया था।
स्वजनों के अनुसार बुधवार की रात लगभग 8:30 बजे अचानक रविकांत बैग लेकर गांव जाने की बात कहने लगा। इस पर विनोद ने कहा कि रात ज्यादा हो गई है, सुबह चले जाने की बात कही, लेकिन रविकांत नहीं मान रहा था। इसी बात पर दोनों में कहासुनी होने लगी। आस-पास के लोगों के समझाने पर रविकांत अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद विनोद कमरे में गया और सो गया। रात में रविकांत कमरे से बाहर निकलकर बाहर टीनशेड में गमछे का फंदा बनाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। रात करीब एक बजे विनोद की नींद खुली तो कमरे से रविकांत को गायब देख परेशान हो उठा। भाई को तलाशने के लिए वह कमरे से बाहर निकला तो देखा कि रविकांत का शव फांसी के फंदे से लटक रहा था। रविकांत की मौत से परिवार में मातम छा गया।
विनोद ने फौरन घटना की सूचना नवाबगंज पुलिस को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को फांसी के फंदे से नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। प्रभारी एसओ दीन दयाल का कहना है कि युवक ने पारिवारिक कलह में फांसी लगाकर जान दी है, फिलहाल भाई विनोद की सूचना पर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। घटना की जांच की जा रही है।
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.. साहब यहीं करा दीजिए अंतिम संस्कार
स्वजनों के अनुसार रविकांत बहुत की झगड़ालू प्रवृत्ति का था। गांव में भी उसकी किसी से नहीं पटती थी। उसकी इस हरकत से परिवारीजन काफी परेशान थे। बेटे रविकांत के फांसी लगाकर जान देने की जानकारी होने पर पिता आज्ञाराम को कोई सिकन नहीं था। वह फोन पर प्रभारी एसओ से कहने लगे कि साहब हम लोग नहीं आ पाएंगे, उसका अंतिम संस्कार भी वहीं करा दीजिएगा। पिता की बात सुनकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था कि रविकांत का व्यवहार उसके परिवार वालों से भी मधुर नहीं था। परिवार के लोग उसके आए दिन के विवाद से परेशान रहते थे।