राहुल गांधी के बयान पर छिड़ी जुबानी जंग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान पर प्रतापगढ़ में जुबानी जंग छिड़ गई है। प्रबुद्ध वर्ग और गैर कांग्रेसी लोग बयान की तीखी आलोचना कर रहे हैं। बयान को समाज को बांटने वाला बता रहे हैं। अधिकांश कांग्रेसी इस पर मौन हैं। कुछ ने तो कहा कि बयान कब आया वह नहीं जानते। इस बारे में कुछ सुना भी नहीं है। दैनिक जागरण ने कुछ लोगों से बात की। आप भी जानिए उनकी बेबाक प्रतिक्रिया।
जासं, प्रतापगढ़ : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान पर प्रतापगढ़ में जुबानी जंग छिड़ गई है। प्रबुद्ध वर्ग और गैर कांग्रेसी लोग बयान की तीखी आलोचना कर रहे हैं। बयान को समाज को बांटने वाला बता रहे हैं। अधिकांश कांग्रेसी इस पर मौन हैं। कुछ ने तो कहा कि बयान कब आया, वह नहीं जानते। इस बारे में कुछ सुना भी नहीं है। दैनिक जागरण ने कुछ लोगों से बात की। आप भी जानिए उनकी बेबाक प्रतिक्रिया।
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उत्तर भारत से निकले कई दिग्गजों ने सर्वोच्च पदों पर देश की सेवा की है व कर भी रहे हैं। एक बड़ी पार्टी के नेता होकर भी राहुल गांधी को बेबुनियाद बयान देने की आदत है। उनके इस बयान से एक बार फिर उत्तर भारत के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। शब्दों का चयन बोलने में मायने रखता है।
-परशुराम उपाध्याय सुमन, अधिवक्ता
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बुद्धिमान लोग किसी भी क्षेत्र या जाति में पैदा हो सकते हैं। समझदारी को क्षेत्र में बांटना निदनीय है। इस तरह के बयान समाज को तोड़ने वाले हैं। राजनेताओं को बोलने से पहले सही-गलत का विचार करना चाहिए। यह राहुल गांधी का बचकाना कथन है, जो उनकी सोच को उजागर करता है।
-डॉ. दयाराम मौर्य रत्न, साहित्यकार
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जब राहुल गांधी अमेठी से जीतते थे तो उनको उत्तर के लोग समझदार लगते थे। हार गए तो अभद्र बयान दे रहे हैं। इससे उनकी सोच व बुद्धि पर खुद ही सवाल उठ रहे हैं। वह दक्षिण चले गए तो वहां के कसीदे गढ़ रहे हैं। राजनीति में इस तरह के रंग बदलने की मिसाल शायद ही कोई और मिले।
-संतोष दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता
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राहुल गांधी के कहने का वह मतलब नहीं था, जो सत्ता पक्ष के लोग निकाल रहे हैं। राहुल ने कहा था कि उत्तर भारतीय भावुक होते हैं, जो भावनाओं में बह जाते हैं, जबकि दक्षिण के लोग बातों को गहराई से परखते हैं। मेरी समझ में उनका बयान संतुलित है, किसी को आहत करने वाला नहीं है।
-कपिल द्विवेदी, सदस्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी