सीएचसी में महिलाओं का नहीं हो सका प्रसव
पीलीभीतजेएनएन सरकार की ओर से स्वास्थ्य केंद्रों पर 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद भी कुछ डाक्टरों व स्वास्थ्य अधिकारियों का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है। गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिलसंडा में स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी दिखाई दीं। अवकाश का दिन होने के बाद भी आधा दिन ओपीडी व 24 घंटे इमरजेंसी सुविधाएं देने का प्रावधान हैलेकिन सीएचसी बिलसंडा में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सीएचसी पर ओपीडी तो दूर इमरजेंसी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो सकीं।
पीलीभीत,जेएनएन: सरकार की ओर से स्वास्थ्य केंद्रों पर 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद भी कुछ डाक्टरों व स्वास्थ्य अधिकारियों का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है। गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिलसंडा में स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी दिखाई दीं। अवकाश का दिन होने के बाद भी आधा दिन ओपीडी व 24 घंटे इमरजेंसी सुविधाएं देने का प्रावधान है,लेकिन सीएचसी बिलसंडा में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सीएचसी पर ओपीडी तो दूर इमरजेंसी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो सकीं।
लेबर रूम में कोई डाक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं मिला। गर्भवती महिलाओं को लेकर पहुंचे तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा। अपराह्न 3.30 बजे सीएचसी के इमरजेंसी कक्ष में कोई डाक्टर उपस्थित नहीं थे। लेबर रूम के पास बने स्टाफ ड्यूटी रूम में भी कोई डाक्टर, स्टाफ नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित नहीं पाया गया। जानकारी लेने पर बताया गया कि डाक्टर अपने घर पर हैं।
सीएमओ के अनुसार, कक्ष में रहना जरूरी नहीं
सीएचसी बिलसंडा में इमरजेंसी कक्ष व लेबर रूम में किसी डाक्टर या स्टाफ मौजूद न होने के बाबत सीएमओ डा. सीमा अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डाक्टर अपने घर में होंगे। घर कैंपस में ही बने हैं। अगर कोई मरीज आएगा तो वार्ड कर्मी जाकर डाक्टर को बुला लाएगा। इमरजेंसी कक्ष में डाक्टर का रहना जरूरी नहीं है। हालांकि सीएमओ के कथन में नियमों की अनदेखी झलकती है। इमरजेंसी में 24 घंटे मेडिकल आफिसर की नियुक्ति जरूरी होती है। इमरजेंसी ड्यूटी पर कार्यरत डाक्टर को ड्यूटी समय में घर जाने की अनुमति नहीं होती। इसी तरह प्रसव के लिए लेबर रूम में भी डाक्टर व स्टाफ नर्स की नियुक्ति आवश्यक होती है।
सीएमओ व एमओआइसी मुख्यालय से बाहर
स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति स्वास्थ्य अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं, इसका अंदाजा उनकी उपस्थिति से लगाया जा सकता है। गुरुवार को सीएमओ डा. सीमा अग्रवाल व एमओआइसी (मेडिकल इंचार्ज आफीसर) बिलसंडा श्रीराम दोनों ही मुख्यालय से नदारद रहे। ऐसे में अधिकारियों की ढिलाई के कारण ही स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती न•ार आ रही हैं।
सीएचसी पर सुविधाओं का बहुत बुरा हाल है। बिना रुपये लिए कोई डिलीवरी नहीं की जाती है। मरीजों को गंभीर केस होने का बहाना बनाकर भयभीत किया जाता है। अधिकतर रेफर कर मरीजों को उपचार देने से बचने का प्रयास किया जाता है। सीएचसी पर उपेक्षा के कारण प्रसव के अधिकांश केस बिलसंडा क्षेत्र के प्राइवेट अस्पताल में जाते हैं।
- गुड्डू यादव, बिलसंडा सीएचसी आने पर मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जांच से लेकर प्रसव तक के रुपये मांगे जाते हैं। इमरजेंसी सेवाओं में डाक्टर मौजूद नहीं रहते। अगर कोई मरीज पहुंचता है तो वार्ड आया या सफाईकर्मी मरीजों को दवा देते हैं। डाक्टर को घर से बुलाया जाता है जिसमें आधा घंटे या उससे ज्यादा इंतजार करना पड़ता है।
- रजत सागर, बिलसंडा छुट्टी का दिन है। ऐसे में स्टाफ पूजा में व्यस्त होगा। छुट्टी के दिन काम कैसे संभव है।
- श्रीराम, प्रभारी चिकित्साधिकारी बिलसंडा डाक्टर कैंपस में ही बने घर पर होंगे। अगर कोई मरीज आएगा तो डाक्टर को बुला लिया जाएगा। इमरजेंसी में किसकी ड्यूटी लगी है, इस संबंध में एमओआईसी ही जानकारी दे पाएंगे।
- डा. सीमा अग्रवाल, सीएमओ