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पाइप लाइनों में लीकेज से पानी की बर्बादी

पीलीभीत : शहर के अधिकतर इलाकों में पेयजल आपूर्ति के लिए भूमिगत पाइप लाइनें दशकों पुरानी हैं। इससे आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 10:45 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 10:45 PM (IST)
पाइप लाइनों में लीकेज से पानी की बर्बादी
पाइप लाइनों में लीकेज से पानी की बर्बादी

पीलीभीत : शहर के अधिकतर इलाकों में पेयजल आपूर्ति के लिए भूमिगत पाइप लाइनें दशकों पुरानी हैं। इससे आएदिन पाइप लाइनों में लीकेज की समस्या आ जाती है। टंकी से आपूर्ति होने पर सैकड़ों लीटर पानी नालियों में बहकर व्यर्थ चला जाता है। नगर पालिका के पास इतना बजट ही नहीं है कि पाइप लाइनों को बदलने का काम हो सके। हालांकि शासन की अमृत योजना के माध्यम से पूरे शहर की पाइप लाइनें बदलने का प्रस्ताव तो है लेकिन इसमें अभी काफी समय लगने की संभावना है।

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नगर पालिका परिषद के पास जो पेयजल आपूर्ति के संसाधन हैं वे दशकों पुराने हैं। शहर की आबादी लगातार बढ़ रही है। कई दशक पहले शहर में चार स्थानों पर ओवरहेड टैंक बनवाए गए थे। इन्हें भरने के लिए 12 स्थानों पर नलकूप बनाए गए। बाद में बसपा शासन के दौरान शहर में तीन स्थानों पर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के अंतर्गत कॉलोनियों का निर्माण हुआ तो इनमें भी एक-एक ओवरहेड टैंक व नलकूप बनवाए गए। हालांकि इनकी क्षमता काफी कम है। इस तरह शहर के लिए कुल मिलाकर चार ओवरहेड टैंक ही हैं। जब इनका निर्माण कराया गया था, तब शहर की आबादी एक लाख से भी कम थी लेकिन अब आबादी दोगुनी से अधिक हो चुकी है। एक तो पेयजल आपूर्ति के संसाधन आबादी के अनुपात में काफी कम हैं और दूसरे पुरानी हो चुकी पाइप लाइनों में लीकेज की समस्या रहती है। ऐसे में जितना पानी नगर पालिका परिषद अपने उपभोक्ताओं को देने का प्रयास करती है, वह भी पूरा लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पाता। पाइप लाइन लीक हो जाने पर आपूर्ति के समय सैकड़ों लीटर पानी नालियों में बहकर व्यर्थ चला जाता है। सबसे ज्यादा लीकेज टनकपुर हाईवे पर छतरी चौराहा से लेकर कलक्ट्रेट तक होते हैं। दरअसल हाईवे के कारण इस रोड पर भारी वाहनों का आवागमन काफी अधिक रहता है। सड़क किनारे भूमिगत पाइप लाइन दबाव पड़ते ही टूट जाती है। जिस इलाके में पाइन लाइन टूटती है, उससे संबद्ध घरों में पानी प्रेशर से नहीं पहुंचता। कई बार तो पाइप लाइन टूटने पर घरों में लगी टोटियों से बूंद बूंद पानी टपकता है।


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