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सफारी वाहनों की कमी से निराश होकर लौट रहे सैलानी

मौसम बदलते ही टाइगर रिजर्व की सैर करने आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन सफारी वाहनों की कमी के कारण रोजाना काफी सैलानियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 11:22 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 11:22 PM (IST)
सफारी वाहनों की कमी से निराश होकर लौट रहे सैलानी
सफारी वाहनों की कमी से निराश होकर लौट रहे सैलानी

पीलीभीत,जेएनएन : मौसम बदलते ही टाइगर रिजर्व की सैर करने आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सफारी वाहनों की कमी के कारण रोजाना काफी सैलानियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

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पर्यटकों को जंगल की सैर कराने के लिए टाइगर रिजर्व प्रशासन ने पीलीभीत से दो तथा महोफ रेंज के मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस से तीन गाड़ियां और 17 जिप्सी लगा रखी हैं। अधिकांश सैलानी सीधे मुस्तफाबाद आकर सैर के लिए वाहनों की बुकिग कराते हैं। कोरोना की बंदिशों में कमी होते ही टाइगर रिजर्व का पर्यटन सीजन एक नवंबर से शुरू हो गया था, जिसके बाद सैलानी आने शुरू हो गए। सर्दी शुरू होने से पहली शिफ्ट में नाममात्र ही सैलानी आते थे। मौसम बदलने के बाद से दोनों शिफ्टों में काफी सैलानी आने लगे हैं। इन दिनों खासतौर से दूसरी शिफ्ट में काफी सैलानी तो आ रहे हैं लेकिन वाहनों की कमी से लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। सोमवार को कई परिवार वाहन नहीं मिलने से वापस चले गए। टाइगर रिजर्व की सैर करने के लिए एक टीवी चैनल की एंकर रूबिका लियाकत भी पहुंची हैं। महोफ रेंजर आरिफ जमाल के मुताबिक सैलानियों की संख्या घटती बढ़ती रहती है। सफारी वाहनों की उपलब्धता के आधार पर पर्यटकों को दी जाती है।

टाइगर रिजर्व की साइट पर समय नहीं बदला गया है,जिससे दूर से सैलानी भ्रमित हो रहे हैं। टाइगर रिजर्व में 15 नवंबर से 31 मार्च तक जंगल की सैर का समय सुबह 7 से 10 बजे तथा सायं 3 से 6 बजे होता है। 1अप्रैल से 15 जून तक जंगल भ्रमण का समय बदल कर सुबह 6 से 9 बजे तथा साय 4.30 से 7.30 तक हो जाता है।

टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर अप्रैल में जंगल भ्रमण का समय 4:30 से अभी भी देखा जा रहा है। मैं उसी अनुसार परिवार के साथ मुस्तफाबाद पहुंचा। मुझे समय बदलने का यहां पता चला। सफारी न मिलने से लौट रहा हूं।

-अतुल कुमार सक्सेना, निवासी सहसवान बदायूं

टाइगर रिजर्व प्रशासन को जंगल भ्रमण के लिए वाहनों की संख्या बढ़ाना चाहिए। वाहन मिलने से दूर से आने वालों को काफी निराशा होती है। कुणाल सक्सेना, बदायूं वाहनों की कमी से जंगल की सैर करने का मुझे और मेरे परिवार को अवसर नहीं मिल सका सभी लोग वाहनों की कमी के कारण निराश होकर लौट रहे हैं।

रवि मल्होत्रा, मीरानपुर कटरा शाहजहांपुर


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