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गोमती किनारे ककरौआ में ट्रैंकुलाइज कर पकड़ा बाघ

दो माह से क्षेत्र में दहशत का पर्याय बना बाघ शनिवार को वन विभाग की टीम ने ट्रैंकुलाइज कर पिजरे में बंद कर दिया। फिलहाल बाघ के होश में आने का इंतजार किया जा रहा है। बाघ को पकड़ने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। शनिवार सुबह करीब 7 बजे ककरौआ गांव निवासी रिकू पुत्र ज्वाला प्रसाद गोमती नदी किनारे खेत पर पहुंचे तो बाघ को बैठा देखकर भयभीत हो गए। वहां से भागकर गांव में आकर बाघ होने की जानकारी लोगों को दी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:20 PM (IST)
गोमती किनारे ककरौआ में ट्रैंकुलाइज कर पकड़ा बाघ
गोमती किनारे ककरौआ में ट्रैंकुलाइज कर पकड़ा बाघ

पीलीभीत,जेएनएन: दो माह से क्षेत्र में दहशत का पर्याय बना बाघ शनिवार को वन विभाग की टीम ने ट्रैंकुलाइज कर पिजरे में बंद कर दिया। फिलहाल बाघ के होश में आने का इंतजार किया जा रहा है। बाघ को पकड़ने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।

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शनिवार सुबह करीब 7 बजे ककरौआ गांव निवासी रिकू पुत्र ज्वाला प्रसाद गोमती नदी किनारे खेत पर पहुंचे तो बाघ को बैठा देखकर भयभीत हो गए। वहां से भागकर गांव में आकर बाघ होने की जानकारी लोगों को दी। सूचना रेंजर मोहम्मद अयूब को दी गई। जिस पर उन्होंने उच्चाधिकारियों को सूचना देने के साथ विभागीय कर्मचारियों समेत मौके पर जा पहुंचे तब तक बाघ ज्वाला प्रसाद के खेत से निकलकर द्वारिका प्रसाद के गन्ने में पहुंच गया जिसके बाद बीसलपुर बराही के वन क्षेत्राधिकारी टीमों व खाबरों (जाल) को लेकर जा पहुंचे। सुबह करीब 10 बजे खाबरें लगाकर गन्ने के खेत की घेराबंदी शुरू करा दी। पूर्व दिशा में खाबरें लगा रही टीम की तरफ बाघ आ गया तो शोर मचाने पर पुन: गन्ने के खेत में चला गया। पूर्वान्ह करीब 11 बजे पश्चिम की ओर निकलने का भी बाघ ने प्रयास किया था। दोपहर करीब 12:00 बजे तक खाबरें लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया। एसडीओ उमेश चंद्र राय व सामाजिक वानिकी एसडीओ हेमंत सेठ ने तैयारियों का जायजा लेकर वन कर्मचारियों की टीमें बनाकर जिम्मेदारी सौंप दी गई।

ककरौआ गांव में बाघ की घेराबंदी कर लिए जाने के करीब चार घंटे बाद एडिशनल प्रिसिपल चीफ वाइल्ड लाइफ कमलेश कुमार , प्रमुख वन संरक्षक ललित वर्मा पीटीआर के एफडी जावेद अख्तर,डीडी नवीन खंडेलवाल, डीएफओ सामाजिक वानिकी संजीव कुमार ,जिम कार्बेट पार्क के डॉ. दुष्यंत भी मौके पर करीब पौने चार बजे पहुंच गए,जिसके बाद डॉ. दुष्यंत औऱ डॉ. दक्ष गंगवार ने बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए डॉट तैयार की। डॉक्टरों की टीम एक जाली बंद ट्रैक्टर में सवार होकर करीब चार बजे बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए गन्ने में घुस गए। करीब 10 मिनट गन्ने में घूमने के बाद उनका ट्रैक्टर जब जेसीबी के करीब पहुंचा तभी ट्रैक्टर के पीछे आ रहे बाघ को देखकर ट्रैक्टर चला रहे बाघ मित्र अतुल सिंह ने ट्रैक्टर रोक दिया। डॉक्टर दुष्यंत ने ट्रैक्टर पर करीब 2 मिनट दूरबीन लगी राइफल से उस पर डॉट चला दी। डॉट लगने के करीब एक घंटे के बाद बेहोश बाघ को सुरक्षा के बीच पिजरे के करीब लाया गया। पिजरे में रखने से पहले उसकी लंबाई वजन करने के बाद पिजरे में डाल दिया गया। जिसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच बाघ को लेकर अधिकारी माला रेंज चले गए। बाघ को पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों तथा वन कर्मियों ने राहत की सांस ली। नर बाघ का वजन करीब 65 किलो तथा उम्र लगभग चार वर्ष होने का अनुमान है।

गौरतलब है कि पीटीआर की बराही रेंज से करीब 2 माह पहले निकला बाघ काफी दिनों तक खारजा नहर क्षेत्र में देखा जाता रहा था। वहां से वह पड़ोस के गांव माधोटांडा की ओर आ धमका और कस्बे के निकट उत्तर दिशा में दो बछड़ों को निवाला बनाने के बाद चार पांच दिन तक गन्ने के खेतों में ही छिपा रहा था तब विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर उसको जंगल की ओर खदेड़ने के लगातार प्रयास किए गए लेकिन वह खारजा नहर होता हुआ चित्तरपुर गांव के करीब हरदोई नहर मार्ग किनारे झाड़ियों में करीब एक सप्ताह बना रहा। वहां से खारजा नहर होकर शाहगढ़ क्षेत्र के सरकारी कृषि फार्म के निकट खन्नौत नदी किनारे जा धमका ओर वहां एक बंगाली का बछड़ा मार डाला था।करीब दस बारह दिनों तक वह उसी क्षेत्र में बना रहा उसको पकड़ने के लिए दो पिजरे भी लगाए गए लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद वहां से निकलकर बाघ नधा, सिसैया होता हुआ पूरनपुर तहसील क्षेत्र के मनहरिया,गोमती गुरद्वारा, खांडेपुर, नवदिया सुल्तानपुर कई गांव में करीब 10-12 दिनों तक आबादी क्षेत्र में घूम कर आतंक मचाता रहा। तीन दिन पहले बाघ वहां से पुन: शाहगढ़ की ओर लौट आया। शुक्रवार को वह हरदोई नहर किनारे होता हुआ केसरपुर गांव के पास देखा गया। पूरे दिन सामाजिक वानिकी रेंज पूरनपुर की टीम रेंजर मोहम्मद अयूब के नेतृत्व में उसकी निगरानी करती रही। शाम होते ही कोहरा घिरने के बीच बाघ रात को वहां से करीब 4 किमी दूर ककरौआ गांव में जा पहुंचा।


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