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नहाय खाय के साथ लिया व्रत का संकल्प

तराई के जिले में विभिन्न स्थानों पर रहने वाले पूर्वांचल के लोगों में छठ पूजा महोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लगातार 48 घंटे का निर्जल व्रत रखने वाली महिलाओं ने नहाय खाय की रस्म के साथ संकल्प लिया। इस बार शहर से सटी रेलवे कालोनी के निकट वाले सरोवर तट पर सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति कोविड-19 के कारण प्रशासन ने नहीं दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 10:50 PM (IST)
नहाय खाय के साथ लिया व्रत का संकल्प
नहाय खाय के साथ लिया व्रत का संकल्प

पीलीभीत,जेएनएन : तराई के जिले में विभिन्न स्थानों पर रहने वाले पूर्वांचल के लोगों में छठ पूजा महोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लगातार 48 घंटे का निर्जल व्रत रखने वाली महिलाओं ने नहाय खाय की रस्म के साथ संकल्प लिया। इस बार शहर से सटी रेलवे कालोनी के निकट वाले सरोवर तट पर सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति कोविड-19 के कारण प्रशासन ने नहीं दी है।

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आयोजन समिति से जुड़े शिवकुमार का कहना है कि प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों ने सरोवर में सिर्फ पांच लोगों के लिए पूजन की अनुमति देने की बात कही है जबकि यहां पर तो हर साल छठ पर्व पर राह चलते लोग भी एकत्र हो जाते हैं। ऐसे में किसी को मना भी तो नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस बार ज्यादातर पूर्वांचल वाली अपने घरों पर ही छठ पूजा उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं। सरोवर तट पर तैयारियों को रोक दिया गया है।

मझोला : नहाय खाय के साथ छठ मैया का व्रत शुरू रखने के लिए महिलाओं ने संकल्प ले लिया है। यहां देवहा नदी किनारे बने छठ घाट पर बेदी बनाकर तैयार कर दी गई है। मझोला से उत्तराखंड की सीमा लगी होने के कारण दोनों राज्यों के लोग इस घाट पर पूजा अर्चना करते हैं। पूर्वांचल सेवा समिति की ओर से छठ घाट पर आयोजन कराया जाता है। समिति की ओर से आलोक व भारत सिंह उर्फ बंटी ने सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रखी है। नहाय खाय की रस्म के तौर पर चना की दाल व लौकी खाते हैं। खरना में गन्ने के रस प्रयोग कर खीर बनाई जाती है।

सुनीता गुप्ता कहना है कि वह इस व्रत को रखती हैं। एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती हैं। छठ मैया का व्रत रखकर वह अपने बेटों की लंबी आयु की कामना करती हैं।

सुनीता सिंह का कहना है कि उनके परिवार की परंपरा छठ पूजा शामिल है। पूर्वांचल में इस व्रत का बड़ा महत्व होता है। उसी के चलते वह भी इस व्रत को रखती हैं।

वंदना सिंह का कहना है कि छठ मैया सभी की मुराद पूरी करती हैं। हमारी सास और माता-पिता भी इस व्रत को रखते हैं। उन्हीं से प्रेरणा मिली है।

श्वेता सिंह का कहना है कि वह छठ मैया का व्रत रखकर परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं। इस पर्व पर सूर्य देवता की पूजा की जाती है।


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