पछुआ हवाओं ने पालेज की फसल को पहुंचाया नुकसान
शारदा नदी के किनारे पालेज करने वाले किसानों का इसबार बरसात न होने और पछुआ हवाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। हवा से पेड़ सूख जाने के कारण फूल और फल दोनों बेकार हो रहे हैं। किसान बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है।
पीलीभीत, जेएनएन : शारदा नदी के किनारे पालेज करने वाले किसानों का इसबार बरसात न होने और पछुआ हवाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। हवा से पेड़ सूख जाने के कारण फूल और फल दोनों बेकार हो रहे हैं। किसान बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है।
रमनगरा क्षेत्र के कई किसान शारदा नदी की तलहटी में लौकी, खीरा, करेला, तरबूज, खरबूज की खेती करते हैं। नवंबर में शारदा में पानी कम हो जाने पर बीजों की रोपाई की जाती है। छह माह देखभाल कर फसल को तैयार करते हैं। मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में लौकी, करेला, खीरा, तरबूज, खरबूज पौधों में आना शुरू हो जाता है। शुरुआती समय में अच्छे भाव मिल जाने के कारण पालेज की फसल करने वाले किसानों को बेहद फायदा होता है। पिछली बार लाकडाउन लग जाने की वजह से किसानों की मेहनत पूरी तरीके से बेकार हो गई थी। उनकी फसल औने पौने दामों में बिक्री हुई थी। किसानों ने पिछले वर्ष की भरपाई के लिए इसबार भी एक बड़े रकबे में पालेज की खेती की है लेकिन बारिश न होने और शारदा नदी का जलस्तर न बढ़ने के कारण फसल काफी प्रभावित हुई है। इसके साथ ही पछुआ हवाओं से फसल सूखने लगी है। फसल सूख जाने से उसमें लगा फल और फूल दोनों बेकार हो रहे हैं। किसान बताते हैं कि इस बार लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है। जमा पूंजी लगाकर फसल को तैयार किया था लेकिन मौसम की वजह से फायदा नहीं हो पा रहा है। इस बार भी उन्हें बेहद घाटा झेलना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि अभी कुछ ही फसल की बिक्री की थी लेकिन अचानक पछुआ हवाओं ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। किसान बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। कुछ हद तक अच्छे मिल रहे दाम
पिछले वर्ष लाकडाउन के कारण लौकी तीन से चार रुपये किलो बिक रही थी। अब 15 रुपये तक बिक रही है। खीरा पांच रुपये किलो बिक रहा है। तरबूज चार से सात रुपये, करेला 12 रुपये किलो और टमाटर आठ रुपये किलो बिक रहा है।
पांच एकड़ जगह में लौकी, करेला, गंगाफल, तरबूज की फसल की रोपाई की है। बारिश न होने और पछुआ हवाओं के चलने से फसल सूख गई है। भारी नुकसान हुआ है।
मदन सरकार
शारदा नदी में पानी भर जाने से फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता था लेकिन इस बार बारिश न होने और पानी न बढ़ने से फसल खराब हो रही है।
चिन्मय हलधर
काफी मेहनत से फसल को तैयार किया है लेकिन सही से दाम न मिलने के कारण लगाई गई लागत भी निकल पाना बेहद मुश्किल लग रहा है।
दया मंडल
पिछले वर्ष की अपेक्षा इसबार कुछ हद तक पालेज करने वाले लोगों को राहत मिली है, लेकिन पिछले वर्ष की नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी।
संजीव राहा