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गन्ना खरीद कर भुगतान नहीं दे रहीं चीनी मिलें

पीलीभीतजेएनएन चुनावी मौसम में भाजपा समेत अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता किसानों के हितों को लेकर बड़े-बड़े दावे व घोषणाएं तो कर रहे लेकिन वर्तमान पेराई सत्र में किसानों का गन्ना मूल्य समय पर दिलाने का काम नहीं हो रहा है। किसान अपने अपने क्षेत्र की चीनी मिलों में लगातार गन्ना आपूर्ति कर रहे हैं लेकिन शहर की एलएच चीनी मिल को छोड़कर अन्य चीनी मिलें किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर रही हैं। दोनों सहकारी चीनी मिलों तथा बरखेड़ा की निजी चीनी मिल ने वर्तमान पेराई सत्र में खरीदे गए गन्ने का मूल्य भुगतान शुरू नहीं किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 10:59 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 10:59 PM (IST)
गन्ना खरीद कर भुगतान नहीं दे रहीं चीनी मिलें
गन्ना खरीद कर भुगतान नहीं दे रहीं चीनी मिलें

पीलीभीत,जेएनएन : चुनावी मौसम में भाजपा समेत अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता किसानों के हितों को लेकर बड़े-बड़े दावे व घोषणाएं तो कर रहे लेकिन वर्तमान पेराई सत्र में किसानों का गन्ना मूल्य समय पर दिलाने का काम नहीं हो रहा है। किसान अपने अपने क्षेत्र की चीनी मिलों में लगातार गन्ना आपूर्ति कर रहे हैं लेकिन शहर की एलएच चीनी मिल को छोड़कर अन्य चीनी मिलें किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर रही हैं। दोनों सहकारी चीनी मिलों तथा बरखेड़ा की निजी चीनी मिल ने वर्तमान पेराई सत्र में खरीदे गए गन्ने का मूल्य भुगतान शुरू नहीं किया है। उत्तर प्रदेश गन्ना पूर्ति एवं खरीद अधिनियम के तहत गन्ना आपूर्ति करने के 14 दिन के भीतर मूल्य भुगतान हो जाना चाहिए परंतु जिले की तीन चीनी मिलें इसका पालन नहीं कर रहीं। ऐसे में इस बार भी पिछले पेराई सत्र की भांति किसानों का गन्ना मूल्य का बकाया बढ़ रहा है।

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नवंबर के अंतिम सप्ताह में जिले की चारों चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू हो गया था। तब से चीनी मिलें लगातार किसानों का गन्ना लेकर पेराई करके चीनी उत्पादन कर रही हैं। वर्तमान में चीनी मिलों पर 151 करोड़ 30 लाख 55 हजार रुपये गन्ना मूल्य बकाया हो चुका है। अगर जल्द भुगतान शुरू नहीं हुआ तो यह बकाया बढ़ता जाएगा। किसानों का कहना है कि उन्हें गन्ना बीज, खाद, सिचाई खर्च करके फसल तैयार करनी पड़ती है। इसके बाद खेतों से गन्ना कटाई तथा चीनी मिल या सेंटर तक गन्ना ढुलाई पर नकद खर्च करना होता है। चीनी मिलों से गन्ना मूल्य भुगतान मिलना अनिश्चित रहता है। अगर समय पर भुगतान मिलता रहे तो कोई समस्या ही न रहे।

इनसेट

चीनी मिलों पर बकाया गन्ना मूल्य की स्थिति

चीनी मिल बकाया

एलएच 19 करोड़ 28 लाख 73 हजार

बजाज हिदुस्तान बरखेड़ा 119 करोड़, 29 लाख 75 हजार

बीसलपुर सहकारी चीनी मिल 28 करोड़ 82 लाख 81 हजार

पूरनपुर सहकारी चीनी मिल 22 करोड़ 46 लाख 72 हजार

एलएच चीनी मिल ने किसानों को दिए 27.33 करोड़

शहर की एलएच चीनी मिल पर किसानों का बकाया नहीं है। यह मिल वर्तमान पेराई सत्र में खरीदे जा रहे गन्ने का हर सप्ताह भुगतान कर रही है। चीनी मिल की ओर से संबद्ध किसानों के खातों में 27 करोड़ 33 लाख 61 हजार रुपये और भेजे हैं। इससे पूर्व चीनी मिल वर्तमान पेराई सत्र का 226 करोड़ 17 लाख 84 हजार रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान कर चुकी है। इस तरह वर्तमान पेराई सत्र में विगत 9 जनवरी तक खरीदे गन्ने का समस्त मूल्य भुगतान जोकि 253 करोड़ 61 लाख 45 हजार होता है, यह पूरा किसानों को कर दिया गया है। चीनी मिल के कारखाना प्रबंधक आशीष गुप्ता के अनुसार उप्र गन्ना पूर्ति एवं खरीद अधिनियम का पूर्ण पालन करते हुए गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना खरीद के 14 दिनों के भीतर किया जा रहा है। मिल में अब तक 82 लाख 70 हजार 800 क्विंटल गन्ना की पेराई हो चुकी है।

पिछले बरस शुरुआत में ही बजाज हिदुस्तान शुगर मिल को 11 पर्ची ट्राली गन्ना दिया था। पूरा वर्ष बीत जाने के बाद भी मात्र चार पर्चियों का भुगतान मिला है। नए सत्र में भी तीन ट्राली गन्ना फैक्ट्री को दिया है। पता नहीं कि भुगतान कब मिलेगा।

नत्थूलाल

पिछले पेराई सत्र में 35 पर्ची गन्ना बजाज मिल में को दिया था। जिसमें से मात्र 6 पर्चियों का भुगतान खाते में आया है। बाकी की 29 गन्ना पर्ची का भुगतान अभी तक बकाया है।

पोथीराम

पिछले वर्ष फरवरी माह में 16 पर्ची का गन्ना बजाज मिल को दिया था। अभी तक मात्र 4 पर्ची का भुगतान हुआ है। शेष 12 पर्चियों का गन्ना मूल्य भुगतान अभी तक नहीं मिला।

देवदत्त

पिछले वर्ष शुरुआत में ही बजाज हिदुस्तान मिल को 12 ट्राली गन्ना दिया था। जिसका अभी तक मात्र 2 पर्ची का भुगतान मिला है। अभी तक 10 पर्ची का शेष है। लगभग 12 पर्ची नए सत्र में भी वह डाल चुके हैं।

बृजनंदन शहर की एलएच चीनी मिल किसानों को लगातार गन्ना मूल्य का भुगतान दे रही है। गन्ना मूल्य भुगतान में इस चीनी मिल की स्थिति सबसे अच्छी रही है। जिले की दोनों सहकारी चीनी मिलें भी भुगतान कर रही हैं। बरखेड़ा की बजाज हिदुस्तान चीनी मिल पर ज्यादा बकाया है। मिल प्रबंधन को बकाया गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

जितेंद्र कुमार मिश्र, जिला गन्ना अधिकारी


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