पीटीआर में दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव
तराई के इस जिले की पहचान सिर्फ बाघों की वजह से ही नहीं है बल्कि यहां दुर्लभ प्रजाति के कई वन्यजीव भी विचरण करते देखे जाते हैं। विश्व की सबसे छोटी जंगली बिल्ली रस्पी स्पॉटेड कैट सबसे पहली बार वर्ष 2010 में दिखाई दी थी। इसके बाद कई बार इस प्रजाति की बिल्लियों को जंगल में देखा जा चुका है। विलुप्त हो रही बंगाल फ्लोरिकन चिड़ियां पूरी दुनिया में लगभग चार सौ रह गई हैं लेकिन ये चिड़ियां भी यहां के जंगल की शोभा बनी हुई हैं।
पीलीभीत,जेएनएन : तराई के इस जिले की पहचान सिर्फ बाघों की वजह से ही नहीं है बल्कि यहां दुर्लभ प्रजाति के कई वन्यजीव भी विचरण करते देखे जाते हैं। विश्व की सबसे छोटी जंगली बिल्ली रस्पी स्पॉटेड कैट सबसे पहली बार वर्ष 2010 में दिखाई दी थी। इसके बाद कई बार इस प्रजाति की बिल्लियों को जंगल में देखा जा चुका है। विलुप्त हो रही बंगाल फ्लोरिकन चिड़ियां पूरी दुनिया में लगभग चार सौ रह गई हैं लेकिन ये चिड़ियां भी यहां के जंगल की शोभा बनी हुई हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल प्राकृतिक होने के साथ ही सदियों पुराना है। जंगल में हिरन प्रजाति के वन्यजीवों के साथ ही जंगली सुअर, नीलगाय तो बहुतायत में हैं। साथ ही अजगर समेत अनेक प्रजातियों के सर्प भी यहां पाए जाते हैं। नदियों, जलाशयों में मगरमच्छ एवं कछुआ की भी बहुतायत है। इनके अलावा कुछ दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीवों की मौजूदगी समय समय पर देखी जाती रही है। इनकी मौजूदगी का प्रमुख कारण जैव विविधता को माना गया है। वर्ष 2010 में पहली बार यहां के जंगल में विश्व की सबसे छोटी रस्पी स्पॉटेड कैट नामक बिल्ली को देखा गया था। उसके बाद से अब तक यह बिल्ली जंगल के विभिन्न रेंजों में लगातार देखी जाती रही है। जंगल में बाघों की संख्या के साथ ही दूसरे वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है। इनसेट
जंगल में इन दुर्लभ वन्यजीवों की मौजूदगी
चौसिंहा हिरन : ये आमतौर पर राजस्थान जैसे शुष्क इलाकों में ही पाए जाते हैं लेकिन यहां तराई के जिले के जंगल में अच्छी खासी तादात में मौजूदगी।
- हैनी वेजर (कबर बिज्जू) : यह भी दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है। प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में यहां अच्छी खासी संख्या में मौजूदगी।
- रस्पी स्पॉटेड कैट : यह विश्व की सबसे छोटी बिल्ली मानी गई है। यहां के जंगल में ये मौजूद हैं। पड़ोसी जिला लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में भी इसकी खोज हो रही लेकिन अभी तक वहां नहीं दिखी।
- हिस्पिडहेयर : यह खरगोश की एक दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है। कई साल पहले यह जंगल में विश्व प्रकृति निधि के कार्यकर्ताओं को दिखा था। तब से कई बार देखा जा चुका है।
- बंगाल फ्लोरिकन पक्षी : यह पक्षी विलुप्तप्राय: प्रजाति का बताया जा रहा है। पूरी दुनिया में करीब चार सौ के आसपास इन पक्षियों की संख्या है, जिनमें से कई यहां के जंगल में लगातार देखे जाते रहे हैं।
इन्सेट
जंगल का कुल क्षेत्रफल 73 हजार 24.98 हेक्टेयर
जंगल की लंबाई 60 किमी और चौड़ाई 15 किमी टाइगर रिजर्व बनने के बाद ढाई गुना हो गए बाघ
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की स्थापना जून 2014 में हुई थी। उस वक्त यहां के जंगल में बाघों की संख्या लगभग 25 थी, लेकिन बाघ गणना के आंकड़ों के मुताबिक यहां बाघों की संख्या 65 से अधिक मानी जा रही है। खास बात यह है कि चार साल के दौरान बाघों की संख्या दोगुनी से भी अधिक होने की उपलब्धि अर्जित करने वाला दुनिया का इकलौता पीलीभीत टाइगर रिजर्व है। जिसके मद्देनजर विगत वर्ष पीटीआर को ग्लोबल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया थ। --वर्जन---
तराई के इस जिले में प्राकृतिक वन है। साथ ही सामाजिक वानिकी क्षेत्र में भी कई तरह के वन्यजीव विचरण करते हैं। जंगल में तो एक दो नहीं बल्कि कई प्रजातियों के दुर्लभ वन्यजीव पाए जाते हैं। हर तरह के वन्यजीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण में प्रत्येक जागरूक नागरिक को सहयोग करना चाहिए।
-संजीव कुमार, डीएफओ सामाजिक वानिकी वन्यजीव प्रभाग