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आरटीई से मिल रहा गरीबों को हक

सरकारी स्कूलों की लचर शिक्षा व्यवस्था व निजी स्कूलों की महंगी फीस से प्राय ग़रीब बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।सब पढ़ें सब बढ़ेंको चरितार्थ करने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम में ग़रीब बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 05:40 PM (IST)
आरटीई से मिल रहा गरीबों को हक
आरटीई से मिल रहा गरीबों को हक

जागरण संवाददाता, पीलीभीत: सरकारी स्कूलों की लचर शिक्षा व्यवस्था व निजी स्कूलों की महंगी फीस से प्राय: ग़रीब बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।'सब पढ़ें सब बढ़ें'को चरितार्थ करने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम में ग़रीब बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए। अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक ग़रीब बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयीं। लेकिन जागरूकता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण नियम का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक नहीं हो पा रहा था।

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वर्तमान शैक्षिक सत्र में जनपद के ग़रीब बच्चों को बड़ी संख्या में निजी स्कूलों में निश्शुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ है। दो चरणों में सम्पन्न हुई प्रवेश प्रक्रिया के बाद जनपद के पचास हिंदी व अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में लगभग 350 ग़रीब तबके के बच्चों को शिक्षा प्राप्त हो रही है। अधिनियम के तहत ऐसे परिवारों के बच्चों को मौका दिया जाता है, जिनकी पारिवारिक आय सालाना एक लाख रुपये से कम होती है। आरक्षित वर्ग के बच्चों के लिए आय में छूट का भी प्रावधान है। दिव्यांग अथवा एड्स पीड़ित अभिभावकों के बच्चों को प्रवेश में वरीयता प्रदान की जाती है। प्रवेश हेतु आवेदन के बाद खंड शिक्षा अधिकारी की जांच के आधार पर चयनित बच्चों की सूची जिलाधिकारी को भेजी जाती है। जिलाधिकारी की अनुमति के बाद संबंधित विद्यालय में बच्चे का दाखिला किया जाता है। इस नियम के तहत प्रवेश प्राप्त बच्चे पर साढ़े चार सौ रुपये प्रतिमाह सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त होता है, जो संबंधित विद्यालय को भेजा जाता है। गत छह वर्षों के अनुपात में सर्वाधिक प्रवेश वर्तमान शैक्षिक सत्र में संभव हुए हैं। अभी तक किसी भी शैक्षिक सत्र में पचास से अधिक प्रवेश नहीं हुए हुए थे किंतु वर्तमान सत्र में यह आंकड़ा लगभग 350 तक पहुंच चुका है।

फोटो:7पीआइएलबी-25

मेरे बच्चे का प्रवेश ब्रजवासी स्कूल में हुआ है। मुझे बिल्कुल भी फीस नहीं देनी पड़ रही है। मुझे उम्मीद है कि अब मेरे बच्चा भी अन्य बच्चों की तरह अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा।

- रेखा, एकता नगर कॉलोनी

फोटो: 7पीआइएलबी 26

मैं अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहती थी, लेकिन आर्थिक समस्या के कारण फीस नहीं दे सकती थी। निश्शुल्क शिक्षा के नियम से मेरा सपना साकार हुआ है। - लक्ष्मी, शिव नगर कॉलोनी

फोटो: 7 पीआइएलबी 27

विद्यालय में निश्शुल्क शिक्षा के अंतर्गत 31 बच्चों का प्रवेश हुआ है। सभी बच्चों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

- परविदर सिंह सैहमी, प्रबंधक बेन-हर पब्लिक स्कूल

फोटो: 7 पीआइएलबी 28

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत हमारे विद्यालय में 17 बच्चों का प्रवेश हुआ है। ऐसे सभी बच्चों को नियमित रूप से बेहतर शिक्षा निश्शुल्क उपलब्ध करायी जा रही है। -रमेश चंद्र सेमवाल, प्रधानाचार्य लायंस बाल विद्या मंदिर

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ग़रीब बच्चों को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने  के  लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। अभी तक इस अधिनियम के अंतर्गत प्रवेश का अनुपात बहुत काम था। विभागीय सक्रियता से वर्तमान सत्र में अधिक बच्चों को निजी स्कूलों में निश्शुल्क शिक्षा का लाभ प्राप्त हुआ है।

- देवेंद्र स्वरूप, जिला विद्यालय निरीक्षक


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