फैसला खिलाफ आए तो रखें सब्र : मौलाना जरताब
- अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फैसले को लेकर आस्तान ए हशमतिया के मदरसा में उलमा इमामों की बैठक फोटो 7पीआइएलपी 24
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : आस्तान ए हशमतिया के सज्जादानशीन मौलाना जरताब रजा खां हशमती ने कहा कि हम अमन और सुकून चाहने वाले लोग हैं। हमारे बुजुर्गों ने मोहब्बत का पैगाम दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। अगर यह फैसला हमारे खिलाफ आता है तो सभी मुसलमानों को सब्र रखना चाहिए। ऐसा कोई कार्य नहीं करना है, जिससे आपसी सद्भाव और भाईचारा को ठेस लगे। उन्होंने यह भी कह कि अगर फैसला मुसलमानों के हक में आए तो अयोध्या की जमीन बरेलवी मसलक को सौंपना चाहिए।
बृहस्पतिवार को आस्ताना ए हशमतिया स्थित मदरसे में जिले भर से आए इमामों तथा उलेमाओं को खिताब करते हुए मौलाना जरताब ने कहा कि बैठक दो मसलों पर बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि गत दिवस उनको कमिश्नर और डीआइजी ने अयोध्या के मसले पर आने वाले सुप्रीमकोर्ट के फैसले के संबंध में अमन कायम रखने के लिए बैठक में बुलाया था। तब उनसे कहा था कि यदि यह बैठक शिक्षा, स्वास्थ्य, शहर और देश की तरक्की के लिए बुलाई जाती तो उनको फº महसूस होता। असुद्दीन औवेसी को देश के लिए खतरा बताते हुए उन्होंने कहा कि यह शख्स मुसलमानों को हिदुओं से लड़ाने की बात करता है, लेकिन असलियत यह है कि मुसलमानों को कोई खतरा हिदुस्तान में नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित मुसलमान हिदुस्तान में ही है। पाकिस्तान में मुजाहिर के नाम पर अफ्रीका में गोरे काले के नाम और बांग्लादेश में मुसलमान सुरक्षित नहीं है। उन्होंने एलान किया कि देश में पाकिस्तानी तंजीम नहीं चलने देंगे। उन्होंने कहा कि आज हमारा मुल्क ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पाकिस्तान से परेशान है। जो बहावी आतंकवादियों को पालपोस रहा था आज वो भी इससे परेशान है। उन्होंने कहा कि जिस तरह कश्मीर में जमात ए इस्लामी पर पाबंदी लगी है, वैसी पाबंदी पूरे देश में लगनी चाहिए। इससे पहले नायब सज्जादा मौलाना बुरहान रजा हशमती ने कहा कि हमारी लडाई बहावी आतंकवाद से है। उन्होंने कहा कि यदि कोई देशद्रोही लगातार वंदेमातरम कहे वो देशभक्त नहीं हो सकता। इसी तरह जो व्यक्ति मुल्क पर जान कुर्बान कर दें, भले ही वो वंदेमातरम न कहता हो वो देशभक्त ही कहलाएगा। उन्होंने कहा कि जब ख्वाजा गरीब नवाज के पीरो मुर्शीद की अरब में मजार शहीद की गई तो मुसलमान सड़कों पर क्यों नहीं आए। इसलिए जो भी फैसला कोर्ट का आए, उसका एहतराम करना चाहिए। शाही जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना इजहार अहमद बरकाती ने कहा कि यदि फैसला मुसलमानों के हक में आए तो शुक्र करना और खिलाफ आए तो सब्र करना। बैठक में इमाम परिषद के अध्यक्ष हाफिज इसरार अशर्फी, मौलाना महमूद हशमती, मौलाना नूर अहमद अजहरी ने खिताब किया।