सड़कें निगल रहीं जीवन, याद में घुट रहे स्वजन
हर साल हादसों में सैकड़ों लोग जान गंवा रहे हैं। सड़कों पर हताहत होने वाले लोगों के स्वजन लंबे समय तक त्रासदी को भुला नहीं पाते। पिछले महीने लखनऊ से आ रही रोडवेज बस के हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी। तीस से अधिक लोग घायल हुए थे। पिछले दिनों शहर में ही टनकपुर रोड पर तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खड़े पेड़ से जा टकराई थी।
पीलीभीत, जेएनएन: हर साल हादसों में सैकड़ों लोग जान गंवा रहे हैं। सड़कों पर हताहत होने वाले लोगों के स्वजन लंबे समय तक त्रासदी को भुला नहीं पाते। पिछले महीने लखनऊ से आ रही रोडवेज बस के हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी। तीस से अधिक लोग घायल हुए थे। पिछले दिनों शहर में ही टनकपुर रोड पर तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खड़े पेड़ से जा टकराई थी। जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। घायलों में एक महिला की उपचार के दौरान मौत हुई। इससे दो परिवारों पर दुख का पहाड़ टूटा। ये दोनों बड़े सड़क हादसे ड्राइविग में लापरवाही से हुए थे। यह तो महज बानगी मात्र हैं, ऐसे हादसे वर्ष भर होते रहते हैं।
सर्दी के मौसम में कोहरा हर साल काल बनता रहा है। सबसे अधिक सड़क हादसे कोहरा और धुंध के दौरान जरा सी असावधानी में हो जाते हैं। इन हादसों में जो लोग मौत का शिकार बनते हैं, उनका परिवार दशकों पीछे चला जाता है। जो घायल हो जाते हैं, वे इलाज के बावजूद पहले जैसी स्थिति में नहीं आ पाते। ज्यादातर हादसों की प्रमुख वजह ड्राइविग में लापरवाही और सड़क की खामियां रहती हैं। पिछले महीने की 16-17 अक्टूबर की रात लखनऊ से पीलीभीत आ रही रोडवेज बस पूरनपुर क्षेत्र में चालक की लापरवाही से अपनी साइड छोड़कर दूसरी साइड में सामने से आ रही पिकअप से जा भिड़ी। इस हादसे में 11 लोगों की जान चली गई थी। शहर में ही सुरभि कालोनी व अशोक कालोनी में रहने वाले दो परिवारों के लोग कार में सवार होकर टनकपुर रोड पर निकल रहे थे। कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से टकराई। हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले भी बरेली-पीलीभीत व बीसलपुर-बरेली रोड पर कई बड़े हादसे हो चुके हैं। हर हादसा अपने पीछे प्रभावित परिवार के लिए अंतहीन दुख छोड़ जाता है। परिवहन विभाग की ओर से साल भर में कई बार सड़क सुरक्षा के लिए अभियान संचालित किया जाता है। पुलिस विभाग नवंबर में यातायात जागरूकता अभियान चलाता है। इसके बावजूद सड़क हादसों का सिलसिला नहीं थम रहा।
एटीआरओ दफ्तर में पंजीकृत वाहनों की स्थिति
16 हजार ट्रैक्टर-ट्राली
1300 ट्रक
110 बसें
2.20 लाख दोपहिया वाहन जिले में हुए हादसों पर एक नजर
वर्ष हादसों की संख्या मृतकों की संख्या घायलों की संख्या
2017 325 152 262
2018 459 182 318
2019 505 250 305