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रोडवज बसों का किराया बढ़ा पर सुविधाएं नहीं

यूं तो उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम सुहाने सफर का दावा करता है लेकिन पीलीभीत डिपो की बसों से सफर करना किसी खतरे से खाली नहीं है। गत दो जनवरी की रात से साधारण बसों का 10 पैसा और एसी बसों का 15 पैसा प्रति किलोमीटर किराया तो बढ़ा दिया गया। लेकिन यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 06:12 AM (IST)
रोडवज बसों का किराया बढ़ा पर सुविधाएं नहीं
रोडवज बसों का किराया बढ़ा पर सुविधाएं नहीं

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : यूं तो उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम सुहाने सफर का दावा करता है, लेकिन पीलीभीत डिपो की बसों से सफर करना किसी खतरे से खाली नहीं है। गत दो जनवरी की रात से साधारण बसों का 10 पैसा और एसी बसों का 15 पैसा प्रति किलोमीटर किराया तो बढ़ा दिया गया। लेकिन यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पीलीभीत डिपो की बसों में टूटी खिड़कियां, खस्ताहाल सीटें व बसों के स्टेयरिग के नीचे झूलता तारों का मकड़जाल और घने कोहरे में फीकी पड़ चुकी हेडलाइट कभी भी आपको बड़े हादसे का शिकार बना सकती है। ऐसे में डिपो की बसों से सफर यात्रियों के लिए भगवान भरोसे है। पीलीभीत डिपो से विभिन्न मार्गों पर दौड़ने वाली बसों की बात करें तो यहां सफर करना खतरे से खाली नहीं है। एक दिन पूर्व ही बगैर हेडलाइट के रोडवेज बस 50 से अधिक यात्रियों को बरेली से नबावगंज तक ले आई। हालांकि भगवान का नाम लेकर यात्री बस में बैठे थे, लेकिन डर उनके चेहरे से साफ झलक रहा था। कड़ाके की ठंड में बसों की टूटी खिड़की दे रहीं दर्द

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कड़ाके की ठंड में रात्रि के दौरान पीलीभीत डिपो की बसों से सफर करने बाले यात्रियों के लिए बड़ा ही मुश्किल भरा सफर रहता है। क्योंकि सर-सर कर हवा जब यात्रियों के सीने में प्रवेश करती है तो बस में बैठे यात्रियों को ठिठुरने को मजबूर कर देती है। ऐसे में बढ़ा किराया देने के बाद भी बगैर खिड़की की बसों में सफर करना यात्रियों के लिए दर्द देता है। खस्ताहाल बसों की सीटें बनीं मुसीबत

खस्ताहाल हाल में बसों की सीटें यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई हैं, सड़क पर हिचकोले लगने पर यात्रियों ं के साथ सीटों की गद्दी भी अपनी जगह छोड़ जाती है। कई बार उखड़ी सीटें लोगों को घायल कर चुकी हैं। लेकिन पीलीभीत डिपो को यात्रियों इन समस्याओं से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। फिटनेस के नाम पर हो रही खानापूर्ति

वैसे तो पीलीभीत डिपो के अफसर दावे करते हैं कि बस जब अपने गंतव्य स्थान को रवाना होती है तो बस की फिटनेस की जांच वर्कशॉप में होती है। लेकिन शायद फिटनेस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। शायद अफसरों का फिटनेस के दौरान टूटी खिड़की ओर फटी हुई गद्दी की ओर ध्यान नहीं दिया जाता।

लगभग चालीस फीसद बसों में अग्निशमन यंत्र और फस्ट एड बॉक्स नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर स्टेयरिग के नीचे लटक रहा खुले तारों का मकड़जाल कभी भी बड़े हादसा का सबब बन सकते है। लेकिन इसके बाबत भी बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए। प्राथमिक स्वास्थ्य किट तो 80 प्रतिशत बसों से गायब है।

छोटे रूट पर दौड़ती खस्ताहाल बस

लंबे रूटों पर जर्जर और रिटायर हो चुकी बसों को विभाग द्वारा छोटे रूटों पर दौड़ाया जाता है। ज्यादातर छोटे रूट की बसों में सीटें खस्ताहालत में होती है। यहां तक की कुछ बसों की चादर भी कहीं कहीं से उखड़ चुकी होती है। फिर भी विभाग इन बसों को सड़को पर दौड़ाने से बाज नहीं आता। पूछताछ केंद्र से गायब रहते है बाबूजी

पूछताछ केंद्र की बात की जाए तो अक्सर पूछताछ केंद्र पर बैठने वाले बाबूजी प्राय: नदारद रहते हैं। ऐसे में बसों के रूट की जानकारी के लिए यात्रियों को इधर से उधर भटकना पड़ता है। कभी कभार तो गलत जानकारी न मिलने से यात्रियों की बसे भी छूट जाती हैं।

एक वर्ष में होती है बसों की फिटनेस की जांच

एक साल पूर्ण होने पर रोडवेज बसों की फिटनेस की जांच करता है। ऐसे में मियाद पूरी कर चुकी बसों को परिवहन विभाग द्वारा कंडम घोषित किया जाता है। वहीं ठीक ठाक फिटनेस वाली बसों को सड़कों पर दौड़ने के लिए अनुमति दी जाती है।

हर तीन माह में होता चालक का नेत्र परीक्षण

बसों को सड़को पर दौड़ाने वाले चालक और परिचालक की फिटनेस जांच भी विभाग कराता है। तीन माह में चालक के नेत्र का परीक्षण और छह माह में शारीरिक परीक्षण चालक और परिचालक का होता है। 108 बसों हैं पीलीभीत डिपो में

पीलीभीत डिपो पर कुल 108 बसे हैं जिसमें 91 बसे निगम की व 17 बसे अनुबंधित है।

इन मार्गों पर दौड़ती हैं बसें

रूट बसों की संख्या

लखनऊ 4

कानपुर 2

शाहजहांपुर 1

बरेली शटल 6

दिल्ली - 36

हरिद्वार - 2

देहरादून - 1

उत्तराखंड - 12

पलिया - 5

मथुरा - 2

आगरा - 2

बीसलपुर - 7 सप्लाई नहीं आने की वजह से बसों में फस्ट एड बाक्स तथा अग्निशमन यंत्र नहीं लग पाए हैं, विभाग द्वारा जल्द ही बसों में लगवाए जाएंगे। किसी भी बस का शीशा टूटा नहीं है। यदि बस का शीशा टूटा हुआ होता है तो डिपो छोड़ने से पहले वर्कशॉप पर उसको ठीक करवाया जाता है। कुछ ही बसों की सीटें टूटी है उनको भी जल्द ही ठीक करवाया जाएगा। विभाग यात्रियों की सुख सुविधा का पूरा ख्याल रख रहा है।

- वीके गंगवार, एआरएम पीलीभीत डिपो


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