तराई के कछुओं का होगा डीएनए टेस्ट
तराई के जिले में नदियों और तालाबों में पल रहे कछुओं का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। इसके माध्यम से यह जानकारी जुटाई जाएगी कि ये कछुए किन-किन प्रजातियों के हैं उनकी प्रजातियां कितनी प्राचीन हैं। उसके बाद इन कछुओं के संरक्षण के लिए आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की टीमें बनाकर उनका सहयोग लिए जाने की योजना है।
पीलीभीत,जेएनएन : तराई के जिले में नदियों और तालाबों में पल रहे कछुओं का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। इसके माध्यम से यह जानकारी जुटाई जाएगी कि ये कछुए किन-किन प्रजातियों के हैं, उनकी प्रजातियां कितनी प्राचीन हैं। उसके बाद इन कछुओं के संरक्षण के लिए आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की टीमें बनाकर उनका सहयोग लिए जाने की योजना है।
तराई का जिला पीलीभीत जल, जंगल और उपजाऊ भूमि के मामले में समृद्ध है। वन्यजीवों के साथ ही यहां नदियों, तालाबों में दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से यहां के कछुओं का डीएनए टेस्ट कराने और उन्हें संरक्षित करने की योजना बनाई गई है। संस्थान के प्रोजेक्ट हेड विपुल मौर्या के अनुसार डीएनए टेस्ट कराकर कछुओं की प्रजाति और उनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। कोविड-19 के कारण उत्तराखंड राज्य में लॉकडाउन चल रहा है। इसके बाद देहरादून से सर्वे टीम यहां आकर अपना काम शुरू कर देगी। योजना के अनुसार जागरूक लोगों की टीमें बनाई जाएंगी। ये टीमें कछुओं के संरक्षण में सहयोग करेंगी। अगर किसी तालाब में कछुए असुरक्षित पाए जाएंगे तो उन्हें सुरक्षित नदी अथवा अन्य किसी तालाब में शिफ्ट कर दिया जाएगा। संरक्षण में सहयोग देने वाली टीमें शिकारियों पर भी नजर रखने का काम करेंगी। जिले में पाए जाने वाले कछुओं की प्रजातियां
- इंडियन पीकॉक साफ्टशेल
- नेरो हेडेड साफ्टशेल ट्रूटेल
- इंडियन साफ्टशेल ट्रूटेल
- इंडियन ब्लैक ट्रूटेल
- इंडियन फ्लेपरोल ट्रूटेल
- नार्दन रिवर टेरायपिन ट्रूटेल
- रेड क्राउंड रूफेड ट्रूटेल इन क्षेत्रों में पाए जाते हैं कछुए
- गोमती नदी (खासकर माधोटांडा स्थित उद्गम- फुलहर झील )
- खकरा एवं देवहा नदी
- शहर के गौहनिया चौराहा के निकट स्थित सरोवर
- बिलसंडा स्थित पसगवां गांव के निकट झील
पीलीभीत की जलवायु कछुओं के अनुकूल है, इसीलिए अच्छी संख्या में नदियों, तालाबों में उनकी उपस्थिति देखी जा रही है। एक सर्वे पहले ही हो चुका है। अब जल्द ही फिर टीम के साथ यहां पहुंचकर पाए जाने वाले कछुओं का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। कछुओं के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाएगा।
- विपुल मौर्य, प्रोजेक्ट हेड भारतीय वन्यजीव संस्थान